Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Mar 2017 · 1 min read

*** चुरा ले नींद कोई ***

चुरा ले नींद कोई हमारी कोई बात नहीं
चुराये सपनों को हमारे हमें बर्दास्त नहीं
महक सपनो की भी है हमारे सीमापार
चन्दन -खुशबू भी होती सीमापार नहीं ।।
?मधुप बैरागी

दिल को कह दो दर्द ना दे अब मुझको
मैं अब थका-हारा ना दे ग़म मुझको
ना चाहिए मुझको उनके गम का सहारा
अब दिल आसरा -बेआसरा कर दे मुझको ।।
?मधुप बैरागी

तिलिस्म जिंदगी का भी कितना अजीब है
कैच जिंदगी को करने मौत बाउंड्री पर खड़ी है
जिंदगी और मौत के दरमियां इतना फासला है
जैसे कब्बडी में लाईन छूते ही मौत से जिंदगी है ।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 495 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
"मित्रता"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
gurudeenverma198
कभी कभी ये पलकें भी
कभी कभी ये पलकें भी
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर
Sukoon
माँ
माँ
SHAMA PARVEEN
🐼आपकों देखना🐻‍❄️
🐼आपकों देखना🐻‍❄️
Vivek Mishra
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
कवि दीपक बवेजा
।। गिरकर उठे ।।
।। गिरकर उठे ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
अपने ज्ञान को दबा कर पैसा कमाना नौकरी कहलाता है!
अपने ज्ञान को दबा कर पैसा कमाना नौकरी कहलाता है!
Suraj kushwaha
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
क्या ईसा भारत आये थे?
क्या ईसा भारत आये थे?
कवि रमेशराज
पत्र
पत्र
लक्ष्मी सिंह
#शिवाजी_के_अल्फाज़
#शिवाजी_के_अल्फाज़
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
दोहा
दोहा
प्रीतम श्रावस्तवी
आज का नेता
आज का नेता
Shyam Sundar Subramanian
"कोयल"
Dr. Kishan tandon kranti
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
एक हाथ में क़लम तो दूसरे में क़िताब रखते हैं!
एक हाथ में क़लम तो दूसरे में क़िताब रखते हैं!
The_dk_poetry
*आई ए एस फॅंस गए, मंत्री दसवीं फेल (हास्य कुंडलिया)*
*आई ए एस फॅंस गए, मंत्री दसवीं फेल (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मेरा एक मित्र मेरा 1980 रुपया दो साल से दे नहीं रहा था, आज स
मेरा एक मित्र मेरा 1980 रुपया दो साल से दे नहीं रहा था, आज स
Anand Kumar
क्या तुम इंसान हो ?
क्या तुम इंसान हो ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
■ अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय
■ अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय
*Author प्रणय प्रभात*
Wo veer purta jo rote nhi
Wo veer purta jo rote nhi
Sakshi Tripathi
परिवर्तन
परिवर्तन
विनोद सिल्ला
विषाद
विषाद
Saraswati Bajpai
अमीर
अमीर
Punam Pande
कान्हा भजन
कान्हा भजन
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पिता
पिता
Manu Vashistha
आओ आज तुम्हें मैं सुला दूं
आओ आज तुम्हें मैं सुला दूं
Surinder blackpen
*कैसे हार मान लूं
*कैसे हार मान लूं
Suryakant Dwivedi
Loading...