Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2018 · 4 min read

चुनाव में बढ़ता धनबल प्रयोग (चुनौतियां एवं समाधान)

? आलेख (निबन्ध)?

? चुनाव में बढ़ता धनबल प्रयोग ?
?? (चुनौतियां एवं समाधान)??

लेखक – विनय कुमार करुणे✍?✍?
___________________________

भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है । एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में चुनाव का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि चुनाव लोकतांत्रिक शासन का आधार है। स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव व्यवस्था लोकतंत्र को स्थायित्व प्रदान करती है। लोकतंत्र में जनता ही सत्ताधारी होती है। उसकी अनुमति से ही शासन होता है। लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन, प्रमाणिक मानी जाती है ।।

वर्तमान में हमारे देश में चुनाव प्रकिया बहुत ही गम्भीर परिस्थिति से गुजर रहा है।जब भी चुनाव की बात होती है तो यह बात जेहन में उभरती है, कि वर्तमान निर्वाचन प्रक्रिया में एवं राजनीतिक व्यवस्था में धनबल और बाहुबल का वर्चस्व काफी बढ़ गया है। बिना धनबल प्रयोग के चुनाव असम्भव सा लगने लगा है। एक दौर वह था जब राजनीति को सेवा का जरिया माना जाता था, और चुनाव में वही लोग भाग लेते थे जिनका एक सामाजिक जीवन होता था। लेकिन आज ऐसा नही है, आज ईमानदार और सेवा करने वाले लोग चुनाव नहीं लड़ते हैं, वे राजनीति की दलदल में फसना नही चाहते है। आज सियासत की सवारी कसने वालों में दागी एवं अपराधी आगे रहते है। इसका परिणाम यह होता है कि धनबल एवं बाहुबल के प्रयोग से अपराधी लोग सत्ता में आ जाते है एवं सत्ता का दुरुपयोग करते है। दुखद बात तो यह है कि इन अपराधियों को टिकट दिलाने हर प्रचलित दले सामने आ जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि धनबल के प्रयोग से अपराधी लोग नेता बन जाते है एवं ईमानदार और सेवाभाव रखने वाले स्वभिमानी लोग पीछे रह जाते है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि ईमानदार लोग राजनीति की राह में आने से हायतौबा करने लगे हैं।।

राजनीति में पहले चुनाव लड़ने वाले नेता अपराधियों को मजबूत हथियार की तरह उपयोग करते थे। अब हालात ऐसा है कि अब सरकार किसी भी दल की हो उसमें धनबल का प्रयोग जोरोशोर के साथ होता है, और धन के प्रयोग से कोई न कोई अपराधी मंत्री बन जाता है, जो हमारे एवं राष्ट्र के लिए घातक साबित होता है,क्योकि वह जितना धन चुनाव में खर्च करता है उससे कहीं ज्यादा चुनाव जीतने के बाद वसूल लेता है।।

चुनावों में धनबल का प्रयोग कुछ दशकों में बढ़ा है, देश की बदहाली म अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, जो लोग चुनाव जीतने के लिए इतना अधिक खर्च कर सकते है तो वे जितने के बाद क्या करेंगे, पहले अपनी जेब को भरेंगे । और मुख्य बात तो यह है कि यह सब पैसा आता कहा से है? कौन देता है इतने रुपये? कई कम्पनियां है जो इन सभी चुनावी दलों को पैसे देती है, चंदे के रूप में। चन्दा के नाम पर यदि किसी बड़ी कम्पनी ने दी है तो वह नीतियों में हेरफेर करवा लेती है। लगभर सभी चुनावी दलें है जो चन्दा के नाम पर भारी भरकम रकम कम्पनियों से लेती है, एवं उन पैसों से जनता में एवं अपने चुनाव के प्रचार प्रसार में खर्च करती है।।

वर्तमान की राजनीति में धनबल का प्रयोग चुनाव में बड़ी चुनौती है। सभी दलें पैसे के दम पर चुनाव जीतना चाहते हैं। कोई भी ईमानदारी और सेवाभाव के साथ चुनाव नही लड़ना चाहते है। राजनीति के खिलाड़ी सत्ता के दौड़ में इतने व्यस्त है कि उनके लिए विकास, जनसेवा, राष्ट्र निर्माण की बात करना व्यर्थ हो गया है। सभी पार्टियां जनता को गुमराह करती नजर आती है। सभी पार्टियां नोट के बदले वोट चाहती है। राजनीति अब एक व्यवसाय बन गई है। सभी जीवन मूल्य बिखर गए है धन तथा व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए सत्ता का अर्जन सर्वोच्च लक्ष्य बन गया है।।

एक प्रत्याशी का चुनाव में हुए खर्चों को जब देखते है तो बड़ा चौकाने वाला होता है। चुनावों में पार्टियां करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन उसका हिसाब किताब नही होता है। जाहिर सी बात है जो करोड़ों रुपए खर्च करेगा, वह चुनाव जीतने के बाद उसकी भरपाई तो वह शासन के पैसों से ही करेगा। अब सवाल यह है कि समस्या गम्भीर है तो इसका समाधान ढूंढने की कोशिश क्यो नही किया जा रहा है। क्योंकि उनको इसमें अपनी ही हानि दिखाई देती है।।

राजनीति में बढ़ रहे धनबल के प्रयोग से गरीबों के लिए चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने के अवसर छूट रहे है। चुनाव में बढ़ते धन के इस्तेमाल का जनप्रतिनिधत्व पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इससे निबटने के लिए चुनाव व्यवस्था में सुधार अतिआवश्यक हो गया है।।

—————————

? समाधान :-?

चुनाव प्रक्रिया में हो रहे धनबल प्रयोग को रोकना अतिआवश्यक हो गया है, इससे फिजूलखर्ची तो रुकेगी ही साथ साथ ईमानदार, गरीब,स्वभिमानी,सेवाभाव वाले लोग भी चुनाव में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगे इससे राष्ट्र को लाभ होगा। चुनाव में हो रहे फिजूलखर्ची को रोकने हेतु अथवा कम करने हेतु बहुत से सुधार किये गए है लेकिन उसमें और भी सुधार की आवश्यकता है।।

राजनीतिक दलों द्वारा किया जाने वाला निजी संग्रहण पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, उसे सार्वजनिक कर देना चाहिए।
धनबल के प्रयोग की समस्या बहुत ही विकट समस्या है इस समस्या का हल इस तरह से हो सकता है कि पार्टियों को मिलने वाले स्त्रोत को ही बंद कर देना चाहिए, उस पर ठोस नियंत्रण हो ।

राजनीतिक दलों कोमिलने वाले चंदे एवं धन से सम्बंधित कानून को सशक्त बनाया जाना चाहिए, जिससे कालेधन एवं वोटरों को लुभाने के गलत तरीकों पर लगाम लगाया जा सके।

राजनीतिक दलों को अपने आय व्यय का ब्यौरा फॉर्म 24-A में भरकर देना पड़ता है, किंतु अब सियासी दलें इसे भरने से कतराते हैं, की कही उनकी कलई न खुल जाए। कई राजनीतिक पार्टियां वर्षों से यह फॉर्म नही भरते हैं।इस नियम को अधिक कड़ाई के साथ लागू किया जाना चाहिए।।

✍? विनय कुमार करुणे✍?✍?

Language: Hindi
Tag: लेख
1925 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
Arvina
अभिमान
अभिमान
Neeraj Agarwal
देश के खस्ता हाल
देश के खस्ता हाल
Shekhar Chandra Mitra
किसी विमर्श के लिए विवादों की जरूरत खाद की तरह है जिनके ज़रि
किसी विमर्श के लिए विवादों की जरूरत खाद की तरह है जिनके ज़रि
Dr MusafiR BaithA
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त  - शंका
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त - शंका
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2625.पूर्णिका
2625.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
खुद के वजूद की
खुद के वजूद की
Dr fauzia Naseem shad
श्राद्ध पक्ष के दोहे
श्राद्ध पक्ष के दोहे
sushil sarna
बीता समय अतीत अब,
बीता समय अतीत अब,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
चाहे जितना तू कर निहां मुझको
चाहे जितना तू कर निहां मुझको
Anis Shah
#क़तआ (मुक्तक)
#क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
Hajipur
Hajipur
Hajipur
अलार्म
अलार्म
Dr Parveen Thakur
ক্ষেত্রীয়তা ,জাতিবাদ
ক্ষেত্রীয়তা ,জাতিবাদ
DrLakshman Jha Parimal
क़ैद कर लीं हैं क्यों साँसे ख़ुद की 'नीलम'
क़ैद कर लीं हैं क्यों साँसे ख़ुद की 'नीलम'
Neelam Sharma
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
Rj Anand Prajapati
💐प्रेम कौतुक-473💐
💐प्रेम कौतुक-473💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है
अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
Rekha khichi
आत्मीयकरण-1 +रमेशराज
आत्मीयकरण-1 +रमेशराज
कवि रमेशराज
ताजमहल
ताजमहल
Satish Srijan
काकाको यक्ष प्रश्न ( #नेपाली_भाषा)
काकाको यक्ष प्रश्न ( #नेपाली_भाषा)
NEWS AROUND (SAPTARI,PHAKIRA, NEPAL)
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
*उड़न-खटोले की तरह, चला चंद्रमा-यान (कुंडलिया)*
*उड़न-खटोले की तरह, चला चंद्रमा-यान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
कवि दीपक बवेजा
मेरा जो प्रश्न है उसका जवाब है कि नहीं।
मेरा जो प्रश्न है उसका जवाब है कि नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
Surinder blackpen
सत्ता परिवर्तन
सत्ता परिवर्तन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बारिश की मस्ती
बारिश की मस्ती
Shaily
A Beautiful Mind
A Beautiful Mind
Dhriti Mishra
Loading...