चाहें कितना भी तुम हमसे शिकवा करो
चाहें कितना भी तुम हमसे शिकवा करो
पर न खामोशियों को यूँ ओढ़ा करो
दिल हमारा जरा ये बहल जाएगा
ख्वाब में ही सही मिलने आया करो
ज़िन्दगी से उदासी चली जायेगी
हसरतें खूबसूरत सी पाला करो
टूट जाए न विश्वास की डोर ये
तुम कभी अपना वादा निभाया करो
माना मशरूफ हो ज़िन्दगी में बहुत
व्यस्त हूँ कह मगर मत रुलाया करो
‘अर्चना’ को तुम्हारी जरूरत बहुत
पल हमारे लिए कुछ निकाला करो
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद (उ प्र)