Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2017 · 2 min read

चाहिये था रोजगार,मिली बेरोजगारी

जी हाँ, “चाहिये था रोजगार मिली बेरोजगारी” ये किसी हास्यपद व्यंग की पंक्तिया नहीँ है बल्कि ये एक ऐसी कड़वी हकीकत है जिसे सामाजिक परिदृश्य में बड़े ही आराम से देखने को मिल जायेगा। आप सभी जागरूक पाठकों के संज्ञान में यह बात जरूर संज्ञान में होगी कि आधुनिक परिवेश में भारत में व्याप्त मुख्य समस्याओं में बेरोजगारी भी बड़े शान से अपना नाम सम्मिलित कराये हुये है। युवा देश कहलाने वाले भारत के युवा ही समस्याओं की मेढ़ पर बेदम पड़े होकर अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहे है और साथ ही दुर्भाग्य और बिडम्बना यह भी है कि युवा हितैषी होने का स्वांग रच युवाहितो में कदम उठाने के बजाय युवाओं के घाव को कुदरने का कार्य बड़े ही सरलता पूर्वक किया जा रहा है। बड़े-बड़े सफेद पोशों द्वारा बड़े-बड़े मंच पर की गई बड़ी-बड़ी बातें सिर्फ और सिर्फ चुनावी जुमले की पोशाक धारण कर मीडिया की सुर्खिया बनके रह जाती है यदि पूर्ण ईमानदारी के साथ युवा हितैषी इन बयानबाजी का सर्वेक्षण कराया जाये तो वास्तविकता निःसन्देह उजागर हो जायेगी। हमारे जिम्मेदार हमारी सरकारें आम के आम गुठलियों के दाम को अपना आदर्श मानते हुये युवाओं को वशीभूत करते हुये उनके घावों पर नमक छिड़कने का कार्य कर रही है। कुछ दिनों पूर्व एक राज्य सरकार द्वारा युवाहितो में एक योजना अमल में लाई गयी थी हालांकि इस योजना को कुछ समय तक ही संचालित हो सकी। उस राज्य की “बेरोजगारी भत्ता” का यदि धरातल पर अध्ययन करें तो यह योजना युवाओं की समस्या को कम करने के बजाय अमृत प्रदान करने का कार्य कर रही थी। माना कि बेरोजगारी भत्ता द्वारा युवाओं को कुछ हजार रुपये मासिक राशि आवंटन की जाती थी जो ऊपरी तौर पर जरूर युवाहित प्रदर्शित करती है लेकिन इसी के दूसरे अनछुए पहलू पर नजर डाले तो फलस्वरूप यह सामने निकल कर आएगा कि बेरोजगारी की दिशा में योजना लागू होने के बाबजूद बेरोजगारों की संख्या में गिरावट होने के बजाय  सेवा योजना कार्यालयों में बेरोजगारी की संख्या दिन दूगनी रात चौगनी बढ़ती गई क्योंकि आधुनिक परिवेश अर्थ के मायाजाल में जकड़ा हुआ है। बेरोजगारी भत्ता की चाहत ने स्वरोजगार अपनाये युवाओं को भी वशीभूत करते हुये स्वम् को बेरोजगारों की लाइन में खड़े करने को मजबूर है। यदि सरकार वास्तव में युवाहितो को लेकर गम्भीर होती तो वह बेरोजगारी भत्ता के रूप में नकारात्मक कदम न उठाकर स्वरोजगारी भत्ता जैसी सकारात्मक कदम उठाती। जिसके फलस्वरूप स्वरोजगार अपनाये युवाओं को प्रोत्साहन तो मिलता ही साथ ही बेरोजगारी की झेल रहे युवा भी स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ा अपने को मजबूत करते । जिससे बेरोजगारी दर में एक भारी गिरावट देखने को मिल सकती थी लेकिन वर्तमान सरकारें व राजनैतिक पार्टिया युवाओं को सबसे बड़े वोट बैंक के रूप में देखती है इसलिये वह युवा रूपी इस वोट बैंक की समस्याओं का निराकरण कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने से परहेज कर रही है।

Language: Hindi
Tag: लेख
249 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी पुरुष
नारी पुरुष
Neeraj Agarwal
बस चलता गया मैं
बस चलता गया मैं
Satish Srijan
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
manjula chauhan
हम बिहार छी।
हम बिहार छी।
Acharya Rama Nand Mandal
शिक्षक
शिक्षक
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कुछ उत्तम विचार.............
कुछ उत्तम विचार.............
विमला महरिया मौज
सुप्रभात
सुप्रभात
Seema Verma
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
Sukoon
इस जीवन के मधुर क्षणों का
इस जीवन के मधुर क्षणों का
Shweta Soni
आजकल के परिवारिक माहौल
आजकल के परिवारिक माहौल
पूर्वार्थ
. *विरोध*
. *विरोध*
Rashmi Sanjay
" सत कर्म"
Yogendra Chaturwedi
बरकत का चूल्हा
बरकत का चूल्हा
Ritu Asooja
प्रेम की तलाश में सिला नही मिला
प्रेम की तलाश में सिला नही मिला
Er. Sanjay Shrivastava
कितनी सलाखें,
कितनी सलाखें,
Surinder blackpen
ना प्रेम मिल सका ना दोस्ती मुकम्मल हुई...
ना प्रेम मिल सका ना दोस्ती मुकम्मल हुई...
Keshav kishor Kumar
!! चहक़ सको तो !!
!! चहक़ सको तो !!
Chunnu Lal Gupta
दिल में दबे कुछ एहसास है....
दिल में दबे कुछ एहसास है....
Harminder Kaur
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
हथियार बदलने होंगे
हथियार बदलने होंगे
Shekhar Chandra Mitra
" खामोशी "
Aarti sirsat
*चार दिन की जिंदगी में ,कौन-सा दिन चल रहा ? (गीत)*
*चार दिन की जिंदगी में ,कौन-सा दिन चल रहा ? (गीत)*
Ravi Prakash
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
सांता क्लॉज आया गिफ्ट लेकर
सांता क्लॉज आया गिफ्ट लेकर
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
तुमको ख़त में क्या लिखूं..?
तुमको ख़त में क्या लिखूं..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
सत्य कुमार प्रेमी
अंधेरों रात और चांद का दीदार
अंधेरों रात और चांद का दीदार
Charu Mitra
---- विश्वगुरु ----
---- विश्वगुरु ----
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
मायड़ भौम रो सुख
मायड़ भौम रो सुख
लक्की सिंह चौहान
■ आज का विचार।।
■ आज का विचार।।
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...