Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Mar 2017 · 1 min read

चलो मितवा हम प्यार करें

चलो मितवा हम प्यार करें

नील निलय के अंक में
प्रीत का उपहार धरें
नयन के पनघट पर, नेह की गागर से
नैना दो-चार करें

चलो मितवा हम प्यार करें

प्रीत की गात पर, प्रणय की रक्ताभ करें
तेरे नाम सिंदूर से आज अपनी मांग भरें

चलो मितवा हम प्यार करें

अधरों से माधुरी चुरा लें
अंग लग के सांवरा तन अपना लें
चलो मितवा हम प्यार करें

कुञ्ज में किलोल करें,
हर कली से मेल-जोल करें
बाग़ों का मौसम चुरा लें
सर्वत्र अपने प्रेम का गुंजार करें
चलो मितवा हम प्यार करें

रात की अंगड़ाई से तन सुरमई बना लें
तेरे स्पर्श का श्रृंगार करें
जन्मों के मीत से अभिसार करें
चलो मितवा हम प्यार करें

सुनील पुष्करणा

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 295 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
माँ शेरावली है आनेवाली
माँ शेरावली है आनेवाली
Basant Bhagawan Roy
*अनमोल हीरा*
*अनमोल हीरा*
Sonia Yadav
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
Anil "Aadarsh"
🌺प्रेम कौतुक-206🌺
🌺प्रेम कौतुक-206🌺
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अब सुनता कौन है
अब सुनता कौन है
जगदीश लववंशी
मन उसको ही पूजता, उसको ही नित ध्याय।
मन उसको ही पूजता, उसको ही नित ध्याय।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बड़े दिलवाले
बड़े दिलवाले
Sanjay ' शून्य'
मैं और मेरा यार
मैं और मेरा यार
Radha jha
अच्छा रहता
अच्छा रहता
Pratibha Pandey
आसमाँ के परिंदे
आसमाँ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
झाँका जो इंसान में,
झाँका जो इंसान में,
sushil sarna
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
कलियुग
कलियुग
Bodhisatva kastooriya
भले ही तुम कड़वे नीम प्रिय
भले ही तुम कड़वे नीम प्रिय
Ram Krishan Rastogi
क्यों अब हम नए बन जाए?
क्यों अब हम नए बन जाए?
डॉ० रोहित कौशिक
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
"याद"
Dr. Kishan tandon kranti
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
Ranjeet kumar patre
महफ़िल जो आए
महफ़िल जो आए
हिमांशु Kulshrestha
राज़ की बात
राज़ की बात
Shaily
बैरिस्टर ई. राघवेन्द्र राव
बैरिस्टर ई. राघवेन्द्र राव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
3113.*पूर्णिका*
3113.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*
*"शिक्षक"*
Shashi kala vyas
हरषे धरती बरसे मेघा...
हरषे धरती बरसे मेघा...
Harminder Kaur
सुप्रभात
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जाते हैं संसार से, जब सब मानव छोड़ (कुंडलिया)
जाते हैं संसार से, जब सब मानव छोड़ (कुंडलिया)
Ravi Prakash
Choose yourself in every situation .
Choose yourself in every situation .
Sakshi Tripathi
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
Loading...