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5 Apr 2020 · 1 min read

चलो,जंलाएं दिए!

राह में चलते हुए,
मिल जाते हैं कितने ही राही-राहगीर!
और बिछुड जाते हैं,
दो राहों पर!
जो चले थे साथ हम सबके ।
पर ,यह देखना हमारा ही काम है,
कौन साथ है अब!
पाने को अपनी-अपनी मंजिल,
चले थे तब साथ!
यूँ तो,
राह में चलते हुए,
रही थीं शिकायत-और शिकवे भी!
किन्तु,
बिछडते हुए हम गमजदा भी हुए!
सब कुछ भूल कर,
क्यों कि,यह जानकर!
कि अब कब हो सकेगी फिर मलाकात कभी?
ना जाने टूट जाए कब डोर,
जिन्दगी की!
तो आओ,
जलाएँ दिए!
प्यार के,
अब शाम होने को है।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 369 Views
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