घिरी हूँ तीरगी में मुझको रोशनी दे दे
घिरी हूँ तीरगी में मुझको रोशनी दे दे
जो तेरे साथ हो मुझको वो ज़िन्दगी दे दे
गुज़ार लूँगी उसी के सहारे ये जीवन
निशानी कोई मुझे अपने प्यार की दे दे
नयन में प्यार के सागर लगे उमड़ने अब
बुझाने प्यास तू भी प्यार की नदी दे दे
उदासी अच्छी नहीं लगती तेरे चेहरे पर
करूँ क्या बात तुझे जो तेरी हँसी दे दे
दिलों से ही मिटा दे नफरतों का सिलसिला तू
जमाने भर को मुहब्बत की बन्दगी दे दे
मिली है जबसे ये दौलत हुई अकेली हूँ
वो पहली ज़िन्दगी ही कोई वापसी दे दे
जो भर दे खुशियों से दामन भुला दे गम सारे
बजाने चैन की मुझको वो बाँसुरी दे दे
न तोड़ ‘अर्चना’ रिश्ते यूँ एक ही पल में
सफाई देने का तू मौका आखिरी दे दे
डॉ अर्चना गुप्ता
11-12-2017