Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Mar 2017 · 1 min read

गज़ल :– अब हमारे दरमियां भी फासला कुछ भी नहीँ ।।

तरही गज़ल :–
2122–2122–2122–212

आसरा कुछ भी नहीँ है वासता कुछ भी नहीँ ।
ज़िंदगी तो चंद लम्हों के सिवा कुछ भी नहीँ ।

बिन तुम्हारे ये चमन है आज भी उजड़ा हुआ ,
अब हमारी खैरियत का सिलसिला कुछ भी नहीँ ।

देखता जो हर पहर आगोश में मुझको लिए ,
हैं सितारे लाख , मेरे चाँद सा कुछ भी नहीँ ।

मेरी हर इक आह उल्फ़त को बयां करती हैं ये ,
इन निगाहों का तेरे बिन आसरा कुछ भी नहीँ ।

तुम सदायें याद रखना हमवफा हरगिज़ वहाँ ,
अब हमारे दरमियां भी फासला कुछ भी नहीँ ।

आग थी ये तो विरह की वस धुआँ उठता रहा ,
लोग कहते हैं वहाँ पर तो जला कुछ भी नहीँ ।

हम उसूलों पे चले, हैं राह-उल्फ़त मोड़ पे ,
रौँदने के इक सिवा अब रासता कुछ भी नहीँ ।

अनुज तिवारी “इंदवार”
उमरिया
मध्य-प्रदेश

स्वरचित

2 Likes · 523 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अलसाई आँखे
अलसाई आँखे
A🇨🇭maanush
करवाचौथ
करवाचौथ
Mukesh Kumar Sonkar
दिल का मौसम सादा है
दिल का मौसम सादा है
Shweta Soni
3260.*पूर्णिका*
3260.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अपने आँसू
अपने आँसू
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
*घने मेघों से दिन को रात, करने आ गया सावन (मुक्तक)*
*घने मेघों से दिन को रात, करने आ गया सावन (मुक्तक)*
Ravi Prakash
दिव्य ज्ञान~
दिव्य ज्ञान~
दिनेश एल० "जैहिंद"
रिश्ते (एक अहसास)
रिश्ते (एक अहसास)
umesh mehra
फितरत है इंसान की
फितरत है इंसान की
आकाश महेशपुरी
हमें जीना सिखा रहे थे।
हमें जीना सिखा रहे थे।
Buddha Prakash
रोला छंद
रोला छंद
sushil sarna
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
DrLakshman Jha Parimal
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
Rj Anand Prajapati
भूतल अम्बर अम्बु में, सदा आपका वास।🙏
भूतल अम्बर अम्बु में, सदा आपका वास।🙏
संजीव शुक्ल 'सचिन'
रिश्तों में परीवार
रिश्तों में परीवार
Anil chobisa
माशूका नहीं बना सकते, तो कम से कम कोठे पर तो मत बिठाओ
माशूका नहीं बना सकते, तो कम से कम कोठे पर तो मत बिठाओ
Anand Kumar
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
डर से अपराधी नहीं,
डर से अपराधी नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
नन्ही मिष्ठी
नन्ही मिष्ठी
Manu Vashistha
सूरज मेरी उम्मीद का फिर से उभर गया........
सूरज मेरी उम्मीद का फिर से उभर गया........
shabina. Naaz
वो चिट्ठियां
वो चिट्ठियां
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
#सुप्रभात
#सुप्रभात
*Author प्रणय प्रभात*
नवरात्रि - गीत
नवरात्रि - गीत
Neeraj Agarwal
Rap song (1)
Rap song (1)
Nishant prakhar
* हो जाता ओझल *
* हो जाता ओझल *
surenderpal vaidya
पूछ रही हूं
पूछ रही हूं
Srishty Bansal
समस्त जगतकी बहर लहर पर,
समस्त जगतकी बहर लहर पर,
Neelam Sharma
I knew..
I knew..
Vandana maurya
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
Loading...