Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2019 · 3 min read

*** “गुरु की महिमा ” ***

“* गुरु की महिमा *”
गुरुर ब्रम्हा गुरुर विष्णु गुरुदेवो महेश्वरः।
गुरुर साक्षात् परमं ब्रम्हा तस्मे श्री गुरुवे नमः।।
गुरु प्रत्यक्ष रूप से प्रमाणिकता लिये नारायण का ही स्वरूप है जो सांसारिक जीवन में विषय विकारों का मैल धोने के लिए गुरु का ज्ञान ही सर्वोपरि है और पवित्र जल की तरह से ज्ञान का वो सरोवर घाट है जहाँ गुरु के वचन वाणी की शक्ति से भ्रमित मन के सारे संदेह दूर हो जाते हैं और हॄदय को परम शांति मिलती है।
जीवन में प्रथम गुरु माँ होती है जो बच्चों को घर पर ही अच्छे संस्कार देती है इन्हीं संस्कारों में पलकर बड़े होते हैं फिर स्कूली शिक्षा शिक्षकों द्वारा मिलती है उसके बाद पौढ़ा अवस्था में नई पीढ़ी की टेक्नालॉजी व पाठ्यक्रम की रुपरेखा ही बदल जाती है अब वर्तमान स्थिति में कप्यूटर ,इंटरनेट के जरिये से दुनिया की पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाती है लेकिन असली जीवन में प्रत्यक्ष रूप से मार्गदर्शन गुरु दीक्षा ग्रहण करने से ही प्राप्त होती है।
जीवन में गुरु के ज्ञान के बिना व्यक्तित्व का विकास संभव नहीं है उनके ज्ञान से ही एक सुंदर प्रारूप तैयार करते हैं जो सही समय में दिशाओं की ओर आकर्षित करता है जिससे उच्च स्तरीय प्रतिभा लोगों के समक्ष प्रस्तुत होती है आदर्श प्रस्तुति से ही जीने की प्रेरणा मिलती है।
गुरु अपने ज्ञान के द्वारा कार्यों के प्रति जागरूक होकर शिक्षा प्रदान करता है जिसे हम ग्रहण करते हुए भविष्य में नेक इंसान बनकर कामयाबी हासिल करते हैं।
माया रूपी जंजाल से छुटकारा पाने के लिए गुरु की शरण में जाना जरूरी है इसके अलावा कोई अस्तित्व ही नही है।गुरु दीक्षा ग्रहण करने के बाद में उनके दिये गए वचनों का पालन करना उन आदर्शो को जीवन में उतारना ही महानता है वरना सब कुछ व्यर्थ है गुरु ही गोविन्द से मिलाते हैं। गुरु के ज्ञान को अर्जित कर उनके आदर्श का पालन करना हमारा कर्तब्य है।
जीवन के हर क्षेत्र में गुरु की भूमिका महत्वपूर्ण होती है मंत्र की दीक्षा से लेकर उसकी सिद्धि प्राप्त होने तक पूरी साधना में गुरु की कृपा बनी रहती है। गुरु वेद वेदांत शास्रों का ज्ञाता ,सहनशील ,सक्षम एवं आचार विचारों में भी अदभुत शक्ति प्राप्त होती है जो चिंतन मनन मंत्रोचार उपर्युक्त तरीके से साधा जाता है यही जीवन में निश्चिंतता लाती है और आत्म संतुष्टि मिलती है।
जीवन में परम पूज्य गुरुदेव अंतर्यामी प्रभु *कृष्णम वन्दे जगत गुरु ही है जो हमारे हृदय में अंतरात्मा में गुप्त रूप से विद्यमान रहते हैं अपने ज्ञान की ज्योति से अज्ञान तिमिर का नाश करते रहते हैं और उनकी आभामंडल से कर्तब्य बोध होता है यही आधार स्तंभ हमें जीवन ज्योतिपुंज तक ले जाकर साक्षात्कार कराता है।
जब मनुष्य अंधकार मय जीवन में भटकता रहता है तो उन घने अंधकार में ही ज्ञान की ज्योति का प्रकाश बिंदु गुरु कृपा से ही पाने की लालसा जागृत अवस्था होती है और तभी हम अपनी सर्वशक्तिमान व आनंद की अनुभति को प्रगट करते हैं अर्थात उद्दंडतापूर्वक स्वभाव एवं अंहकार के प्रपंचो में उलझे हुए शिष्य के अज्ञानता को दूर करने का पहला कदम उठाया जाता है इसलिए कहा गया है – “अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानांजन शलाक्या चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मे श्री गृरुवे नमः।
गुरु शिष्य की परम्पराओं को महत्व देने से आत्म विश्वास जागृत होता है इससे दिव्य शक्तियों का संचार होने लगता है वात्सल्य पूर्ण कृपा भाव को प्रगट करता है यही सहज मार्ग गुरु की महिमा का सर्वश्रेष्ठ साधक संजीवनी बूटी माना गया है गुरु की महिमा अपरंपार है।
# कृष्णम वन्दे जगत गुरु #
* शशिकला व्यास *
# भोपाल मध्यप्रदेश #

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 639 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*** कभी-कभी.....!!! ***
*** कभी-कभी.....!!! ***
VEDANTA PATEL
■ त्रिवेणी धाम : हरि और हर का मिलन स्थल
■ त्रिवेणी धाम : हरि और हर का मिलन स्थल
*Author प्रणय प्रभात*
पिता (मर्मस्पर्शी कविता)
पिता (मर्मस्पर्शी कविता)
Dr. Kishan Karigar
*छोड़ा पीछे इंडिया, चले गए अंग्रेज (कुंडलिया)*
*छोड़ा पीछे इंडिया, चले गए अंग्रेज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
विजयी
विजयी
Raju Gajbhiye
ज़िंदगी के मर्म
ज़िंदगी के मर्म
Shyam Sundar Subramanian
तुम्हारी वजह से
तुम्हारी वजह से
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जहां आपका सही और सटीक मूल्यांकन न हो वहां  पर आपको उपस्थित ह
जहां आपका सही और सटीक मूल्यांकन न हो वहां पर आपको उपस्थित ह
Rj Anand Prajapati
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
कवि रमेशराज
भरे हृदय में पीर
भरे हृदय में पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
हाइकु .....चाय
हाइकु .....चाय
sushil sarna
कुछ लोग अच्छे होते है,
कुछ लोग अच्छे होते है,
Umender kumar
परिवार
परिवार
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
हृदय मे भरा अंधेरा घनघोर है,
हृदय मे भरा अंधेरा घनघोर है,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
2938.*पूर्णिका*
2938.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
Manoj Mahato
तुम रट गये  जुबां पे,
तुम रट गये जुबां पे,
Satish Srijan
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
Ravi Ghayal
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
Dr. Narendra Valmiki
मेहनत का फल
मेहनत का फल
Pushpraj Anant
-- अंतिम यात्रा --
-- अंतिम यात्रा --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
"लक्ष्य"
Dr. Kishan tandon kranti
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
नयकी दुलहिन
नयकी दुलहिन
आनन्द मिश्र
तुम मेरी
तुम मेरी
हिमांशु Kulshrestha
सर सरिता सागर
सर सरिता सागर
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
पूर्वार्थ
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय शोध लेख
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...