Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2018 · 2 min read

गीत

मुखड़ा-
घटा घिरी घनघोर गगन में, गीत प्रेम के गाती है।
चंचल काया नर्तन करती, राग-रंग बरसाती है।

अंतरा-(1)
लौट शहर से जब घर आता मेला बहुत लुभाता है,
लाल-हरित चूड़ी ना लाना चाव वधू का भाता है।
सजी दुकानें ,खेल मदारी, झूला बहुत सुहाता है,
सजी टोलियाँ लोग घूमते ‘गीत’ सहज हर्षाता है।

रूप-सजीला, रंग-रंगीला,गदराया पौरुष तककर-
सखी संग मदमाती ‘माला’ पीछे मुड़ इठलाती है।
चंचल काया नर्तन करती राग-रंग बरसाती है।

(2)
गोरे मुख पर काले कुंतल अधर चूम बल खाते हैं,
गाल गुलाबी, भँवर सलौने दीवाना कर जाते हैं।
मौन प्रीत का प्याला पीकर दृग घायल कर जाते हैं,
भीगा बदन, लजाती अँखियाँ नेह सरस बरसाते हैं।

पूनम-मंजुल गात सलौने, कनक-कलेवर दिखलाकर-
स्वर्गलोक की अनुपम बाला सिहरन सी भर जाती है।
चंचल काया नर्तन करती राग-रंग बरसाती है।

(3)
समझ ना पाया प्रेम विधा मैं,अनुरागी मन बहक गया,
कुसुमित अभिलाषाएँ उपजीं मन का उपवन महक गया।
सरगम गा उन्मुक्त कंठ से उन्मादित स्वर चहक गया।
भोगी जीवन उर अकुलाता प्यासा सावन दहक गया।

अरमानों के दीप जलाकर याचक बन जब मैं तरसूँ-
प्रीत जगाकर ,अगन लगाकर मादकता सरसाती है।
चंचल काया नर्तन करती राग-रंग बरसाती है।

(4)
नख से शिख तक रूप सजाकर यौवन का श्रृंगार करो,
भोर की रश्मि प्रथम प्रेम का आमंत्रण स्वीकार करो।
उल्लासित पुरवाई बनकर जीवन में तुम प्यार भरो।
नेह ललित सौरभ को पाकर सपनों को साकार करो।

मधुर मिलन की आस सँजोए तेरी सूरत को तरसूँ-
बाँह पसारे राह तकूँ मैं अंग छुअन तरसाती है।
चंचल काया नर्तन करती, राग-रंग बरसाती है।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 515 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
तुम मेरी किताबो की तरह हो,
तुम मेरी किताबो की तरह हो,
Vishal babu (vishu)
"क्या देश आजाद है?"
Ekta chitrangini
*Nabi* के नवासे की सहादत पर
*Nabi* के नवासे की सहादत पर
Shakil Alam
यह कैसी खामोशी है
यह कैसी खामोशी है
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
अरविंद पासवान की कविताओं में दलित अनुभूति// आनंद प्रवीण
अरविंद पासवान की कविताओं में दलित अनुभूति// आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
🍃🌾🌾
🍃🌾🌾
Manoj Kushwaha PS
चंदा की डोली उठी
चंदा की डोली उठी
Shekhar Chandra Mitra
*आया पूरब से अरुण ,पिघला जैसे स्वर्ण (कुंडलिया)*
*आया पूरब से अरुण ,पिघला जैसे स्वर्ण (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ख़ुद से ख़ुद को
ख़ुद से ख़ुद को
Akash Yadav
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
Sandeep Kumar
इंसान होकर जो
इंसान होकर जो
Dr fauzia Naseem shad
गाथा बच्चा बच्चा गाता है
गाथा बच्चा बच्चा गाता है
Harminder Kaur
कोरोना महामारी
कोरोना महामारी
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
Phool gufran
कितने दिलों को तोड़ती है कमबख्त फरवरी
कितने दिलों को तोड़ती है कमबख्त फरवरी
Vivek Pandey
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
sushil sarna
जिंदगी जी कुछ अपनों में...
जिंदगी जी कुछ अपनों में...
Umender kumar
"पनाहों में"
Dr. Kishan tandon kranti
भाई बहन का रिश्ता बचपन और शादी के बाद का
भाई बहन का रिश्ता बचपन और शादी के बाद का
Rajni kapoor
नवसंवत्सर लेकर आया , नव उमंग उत्साह नव स्पंदन
नवसंवत्सर लेकर आया , नव उमंग उत्साह नव स्पंदन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अपने आलोचकों को कभी भी नजरंदाज नहीं करें। वही तो है जो आपकी
अपने आलोचकों को कभी भी नजरंदाज नहीं करें। वही तो है जो आपकी
Paras Nath Jha
💐प्रेम कौतुक-557💐
💐प्रेम कौतुक-557💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सम्बंध बराबर या फिर
सम्बंध बराबर या फिर
*Author प्रणय प्रभात*
यारा ग़म नहीं अब किसी बात का।
यारा ग़म नहीं अब किसी बात का।
rajeev ranjan
*****सबके मन मे राम *****
*****सबके मन मे राम *****
Kavita Chouhan
वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
Amulyaa Ratan
मार्तंड वर्मा का इतिहास
मार्तंड वर्मा का इतिहास
Ajay Shekhavat
3164.*पूर्णिका*
3164.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
🙅🤦आसान नहीं होता
🙅🤦आसान नहीं होता
डॉ० रोहित कौशिक
Loading...