Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2017 · 1 min read

गीत

. …. गीत …..

चिर- पुरातन प्रेम की नित
बह रही नव धवल धारा
थिर धरातल सुखद संगम
रूप सुन्दरतम् तुम्हारा
कोटि तारक अवनि अम्बर
शशि- कला रवि नृत्य वंदन
नाद सुर लय दिक्- दिगंतर
सूक्ष्मतम् अणु- चित्त बन्धन
चिर- प्रकृति संगीत जीवन
से प्रभावित जगत सारा
कामना की सरस कलियों
से खिला मम् हृदय- मधुबन
भावना की रागिनी फिर
गूँजती उर सजग कण- कण
चेतना की रश्मियों से
खिल उठा जग – जलज सारा
सृष्टि निर्मित जीव- जड़ से
किन्तु अभिनय विधि रचित है
जन्म जीवन मृत्यु सुख दुःख
हैं प्रयोजित शुचि निहित है
क्षरण सर्जन रीति कालिक
स्वत्व अभिनव प्रेम द्वारा

डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ

Language: Hindi
Tag: गीत
313 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कलियुग
कलियुग
Bodhisatva kastooriya
अकेले आए हैं ,
अकेले आए हैं ,
Shutisha Rajput
#गणितीय प्रेम
#गणितीय प्रेम
हरवंश हृदय
घर के आंगन में
घर के आंगन में
Shivkumar Bilagrami
"अकाल"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम हासिल ही हो जाओ
तुम हासिल ही हो जाओ
हिमांशु Kulshrestha
दुनिया की आख़िरी उम्मीद हैं बुद्ध
दुनिया की आख़िरी उम्मीद हैं बुद्ध
Shekhar Chandra Mitra
मसरुफियत में आती है बे-हद याद तुम्हारी
मसरुफियत में आती है बे-हद याद तुम्हारी
Vishal babu (vishu)
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
Phool gufran
धर्म की खूंटी
धर्म की खूंटी
मनोज कर्ण
"ना अपना निर्णय कोई<
*Author प्रणय प्रभात*
*हंगामा करने वाले, समझो बस शोर मचाते हैं (हिंदी गजल)*
*हंगामा करने वाले, समझो बस शोर मचाते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
पिता और पुत्र
पिता और पुत्र
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
24/245. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/245. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चंद तारे
चंद तारे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कोतवाली
कोतवाली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
Shyam Pandey
अवसर
अवसर
संजय कुमार संजू
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दिखता अगर फ़लक पे तो हम सोचते भी कुछ
दिखता अगर फ़लक पे तो हम सोचते भी कुछ
Shweta Soni
+जागृत देवी+
+जागृत देवी+
Ms.Ankit Halke jha
इंसानियत
इंसानियत
साहित्य गौरव
💐प्रेम कौतुक-224💐
💐प्रेम कौतुक-224💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
surenderpal vaidya
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
Annu Gurjar
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
कवि दीपक बवेजा
चाय-दोस्ती - कविता
चाय-दोस्ती - कविता
Kanchan Khanna
रात
रात
SHAMA PARVEEN
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है
gurudeenverma198
ख़ास विपरीत परिस्थिति में सखा
ख़ास विपरीत परिस्थिति में सखा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...