गीत
आ दो चार कर लें हम,प्यार की बातें।
कुछ तेरी कुछ मेरी,कुछ संसार की बातें।।
जब जुदा होंगे,न जाने हम कहाँ होंगे।
अपने सुख-दु:ख फिर,कैसे बयां होंगे?
कैसे कटेंगे दिन,और कैसे कटेंगी रातें?
आ दो चार……………..।
सुबह होती है,फिर ये शाम ढ़लती है।
ये ज़िन्दगी तो बर्फ़ ज्यों पिंघलती है।
होके खुशी में चूर,करें खुमार की बातें।
आ दो चार……………..।
धरती प्यासी हो तो,बादल बरसता है।
ऐसे तुमसे मिलने को दिल तरसता है।
पल-पल करता है तेरे दीदार की बातें।
आ दो चार……………..।
कौन अपना-पराया,कभी न सोचें हम।
दु:ख में एक-दूसरे के आँसू पोछें हम।
मिलजुल रहें हमेशा,न हों तक़रार की बातें।
आ दो चार ……………..।
राधेश्याम “प्रीतम”कृत
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