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10 Dec 2016 · 1 min read

ग़र्दिशें गुज़रीं

ग़र्दिशें गुज़रीं जबीं को चूम कर, अच्छा लगा |
हादसों के साथ करना ये सफ़र अच्छा लगा ||

उम्र भर तू ज़िन्दगी महरूम कर सकती न थी |
ज़ात को हासिल तेरे ये भी हुनर अच्छा लगा ||

आँसुओं को ज़ब्त करने की मेरी थीं कोशिशें |
आस्तीं का फिर भी होना तर ब तर अच्छा लगा ||

अजनबी सा ही हमेशा देखता रहता था जो |
आईने ने आज देखा घूर कर, अच्छा लगा ||

शुहरतें आती हैं लेकर साथ में बदनामियाँ |
आदमी को शोहरतें पाना मगर अच्छा लगा ||

आजकल सुनते हैं उनको नींद भी आती नहीं |
इश्क़ का उन पर हुआ कुछ तो असर, अच्छा लगा ||

वो मेरे पहलू में आ कर जो अचानक हँस दिए |
बाद मुद्दत मुझको भी ज़ौक़े-“नज़र” अच्छा लगा ||

(ज़ौक़ = आनन्द)

Nazar Dwivedi

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