Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jun 2016 · 1 min read

ग़ज़ल- क़त्ल करने आज क़ातिल फिर शहर में आ गया।

क़त्ल करने आज क़ातिल फिर शहर में आ गया।
ज़िन्दगी की राह में वो धूप बनकर छा गया।।

क्या ख़बर थी लौटकर फिर से वो आएगा यहाँ।
बेवफ़ा निकला वो क़ातिल, फिर मैं धोका खा गया।।

पंख था परवाज़ था और थी फ़लक तक राह भी।
पर न जाने क्यूँ परिन्दा बेवज़ह घबरा गया।।

ज़िन्दगी ! इतनी कभी पहले न देखी बेरुख़ी।
माज़रा आख़िर है क्या, कुछ बोल तो हो क्या गया।।

दिल की बातों में ‘अकेला’ फिर न आएगा कभी।
एक धोका खा के उसको भी सम्भलना आ गया।।

अकेला इलाहाबादी

2 Comments · 286 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आंखें मेरी तो नम हो गई है
आंखें मेरी तो नम हो गई है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
गणतंत्र
गणतंत्र
लक्ष्मी सिंह
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
Arvind trivedi
हो अंधकार कितना भी, पर ये अँधेरा अनंत नहीं
हो अंधकार कितना भी, पर ये अँधेरा अनंत नहीं
पूर्वार्थ
विनाश की जड़ 'क्रोध' ।
विनाश की जड़ 'क्रोध' ।
Buddha Prakash
दुआ को असर चाहिए।
दुआ को असर चाहिए।
Taj Mohammad
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
VINOD CHAUHAN
श्रोता के जूते
श्रोता के जूते
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
"ला-ईलाज"
Dr. Kishan tandon kranti
*मिले हमें गुरुदेव खुशी का, स्वर्णिम दिन कहलाया 【हिंदी गजल/ग
*मिले हमें गुरुदेव खुशी का, स्वर्णिम दिन कहलाया 【हिंदी गजल/ग
Ravi Prakash
आप हाथो के लकीरों पर यकीन मत करना,
आप हाथो के लकीरों पर यकीन मत करना,
शेखर सिंह
बापू
बापू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लेखनी को श्रृंगार शालीनता ,मधुर्यता और शिष्टाचार से संवारा ज
लेखनी को श्रृंगार शालीनता ,मधुर्यता और शिष्टाचार से संवारा ज
DrLakshman Jha Parimal
राम काव्य मन्दिर बना,
राम काव्य मन्दिर बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कॉलेज वाला प्यार
कॉलेज वाला प्यार
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
परोपकारी धर्म
परोपकारी धर्म
Shekhar Chandra Mitra
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
Sampada
दो शरारती गुड़िया
दो शरारती गुड़िया
Prabhudayal Raniwal
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
Basant Bhagawan Roy
23/140.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/140.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नरम दिली बनाम कठोरता
नरम दिली बनाम कठोरता
Karishma Shah
कर्म-धर्म
कर्म-धर्म
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
उजालों में अंधेरों में, तेरा बस साथ चाहता हूँ
उजालों में अंधेरों में, तेरा बस साथ चाहता हूँ
डॉ. दीपक मेवाती
हक़ीक़त ये अपनी जगह है
हक़ीक़त ये अपनी जगह है
Dr fauzia Naseem shad
■ जय लोकतंत्र
■ जय लोकतंत्र
*Author प्रणय प्रभात*
प्रीत तुझसे एैसी जुड़ी कि
प्रीत तुझसे एैसी जुड़ी कि
Seema gupta,Alwar
गौरवशाली भारत
गौरवशाली भारत
Shaily
# लोकतंत्र .....
# लोकतंत्र .....
Chinta netam " मन "
हाथों की लकीरों को हम किस्मत मानते हैं।
हाथों की लकीरों को हम किस्मत मानते हैं।
Neeraj Agarwal
Loading...