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10 Jun 2016 · 1 min read

ग़ज़ल :– जुलमी तेरी निगाहें ख़ंज़र …..!!

ग़ज़ल :– जुल्मी तेरी निगाहें !!
गजलकार :– अनुज तिवारी “इन्दवार ”

महफिल की भीड़ मे मेरा शिकार करती !
जुल्मी तेरी निगाहें खंजर सी वार करती !!

कह दो उन्हे जरा सी नजरें झुका लें अपनी !
सातिर बडी निगाहें चुन-चुन प्रहार करती !!

छुप जाऊं गर कहीं भी थोडी सी आड़ लेकर !
आतुर तेरी निगाहें पल-पल गुहार करती !!

आँखों मे सजाये अपने काजल की धार पैनी !
कातिल तेरी निगाहें दिल को हलाल करती !!

रखली उतार के पलकों पे ख्वाब सारे !
शायद तेरी निगाहें चाहत बेसुमार करती !!

1 Like · 6 Comments · 916 Views
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