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12 Sep 2017 · 1 min read

गज़ल

२१२२–२१२२–२१२२–२१२
आना हो गया

रब की थी मर्ज़ी गली में उनका आना हो गया
यूं ही बस दिल को धड़कने का बहाना हो गया

क्या बताऊं कितनी कमियां हैं मेरे किरदार में
तोड़कर फिर फिर बनानें में ज़माना हो गया

टूटकर पलको से टपके अश्क थे मोती कहां
कह रहें हैं वो कि ये उनका खजाना हो गया

बात से बाते बनी और आग बन बढ़ने लगी
हर ज़ुबा पर आज अपना ही फ़साना हो गया

चांद तारे आसमां से जैसे ज़मीं पर आ गये
इश्क में डूबी फ़िज़ा दिल आशिकाना हो गया

हर तरफ शहनाईयो की गूंज दिल सुनने लगा
गीत डोली ढोल बाजो का ठिकाना हो गया

हीर मैं बन जाऊं रांझा बनके तू मिलना वहीं
ये हमारा है उसे गुज़रे ज़माना हो गया

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