Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2017 · 2 min read

गजल

आजादी के दीवाने #सरदार_भगतसिंह_जी के जन्मदिन पर उपहार स्वरूप मेरी ये गजल सादर भाव समर्पित?????????

भगतसिंह नाम कह दो आज भी मन काँपते दुश्मन।
गरज कर आँख दिखला दो अभी डर भागते दुश्मन।।

कहानी सुन भगतसिंह की जवानी लोग जीते क्या ?
अभी तक तो जवाँ है वो दिलों में मानते दुश्मन।।

अमरता पाइ है जिसने गले फंदा लगाकर के।
तभी से हिन्द दिल पर राज, सिंह का जानते दुश्मन।।

शहादत से भगतसिंह के हुये पैदा भगत भारत।
यहाँ घर-घर भगतसिंह हैं यही डर पालते दुश्मन।।

अदब से सर झुका करते कहे गाथा अगर कोई।
वतन श्रद्धा वतन जज़्बा नहीं फिर आँकते दुश्मन।।

भगत सरहद खड़े रहते लिये जाँ खुद हथेली पे।
कदम की ठोकरों से भी यहाँ भू चाटते दुश्मन।।

कहो जूझे नहीं कोई यहाँ बेटा भगतसिंह हर।
अगर हम मारने बैठे नहीं फिर नापते दुश्मन।।

कटायें सर मगर पहले हजारों काट लेते है।
फ़तह हासिल हमें हो फिर मिटा हम डालते दुश्मन।।

जरा सी चाह लेकर हम वतन पर जाँ छिड़कते हैं।
नजर से बच निकल जाये नहीं हम चाहते दुश्मन।।

भगतसिंह के बनाये धर्म पर चलना जरूरी है।
इसी अंदाज के कारण नहीं फिर झाँकते दुश्मन।।

मसीहा है वतन जन भी उसे जज़्बात में रखते।
अजादी सी लड़ाई अब नहीं फिर माँगते दुश्मन।।

यहाँ हर कण भगतसिंह है यही सब मानते भारत।
न भूले से कभी कोई यहाँ कण छानते दुश्मन।।

चलो जज़्बा लिए हम भी चले उस राह पर यारों।
मिटा दें नाम नक्शे से हमें जो डाँटते दुश्मन।।

यही उपहार देते आज हम यारों भगतसिंह को।
रहे आजाद यह भारत, तभी हम काटते दुश्मन।।

संतोष बरमैया #जय

270 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खाली मन...... एक सच
खाली मन...... एक सच
Neeraj Agarwal
*
*"मां चंद्रघंटा"*
Shashi kala vyas
आज की जेनरेशन
आज की जेनरेशन
ruby kumari
■ बात अगर ग़ैरत की हो तो क्यों न की जाए हिज़रत?
■ बात अगर ग़ैरत की हो तो क्यों न की जाए हिज़रत?
*Author प्रणय प्रभात*
हज़ारों रंग बदलो तुम
हज़ारों रंग बदलो तुम
shabina. Naaz
मै तो हूं मद मस्त मौला
मै तो हूं मद मस्त मौला
नेताम आर सी
हर एक से छूटा है राहों में अक्सर.......
हर एक से छूटा है राहों में अक्सर.......
कवि दीपक बवेजा
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभाल कर।
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभाल कर।
लक्ष्मी सिंह
हरे भरे खेत
हरे भरे खेत
जगदीश लववंशी
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
'Being human is not that easy..!' {awarded poem}
'Being human is not that easy..!' {awarded poem}
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
नज़र आसार-ए-बारिश आ रहे हैं
नज़र आसार-ए-बारिश आ रहे हैं
Anis Shah
मोहब्ब्बत के रंग तुम पर बरसा देंगे आज,
मोहब्ब्बत के रंग तुम पर बरसा देंगे आज,
Shubham Pandey (S P)
【30】*!* गैया मैया कृष्ण कन्हैया *!*
【30】*!* गैया मैया कृष्ण कन्हैया *!*
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मेरे होते हुए जब गैर से वो बात करती हैं।
मेरे होते हुए जब गैर से वो बात करती हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
पिता की नियति
पिता की नियति
Prabhudayal Raniwal
"गाँव की सड़क"
Radhakishan R. Mundhra
*....आज का दिन*
*....आज का दिन*
Naushaba Suriya
वीणा का तार 'मध्यम मार्ग '
वीणा का तार 'मध्यम मार्ग '
Buddha Prakash
*नगरपालिका का कैंप* (कहानी)
*नगरपालिका का कैंप* (कहानी)
Ravi Prakash
गुज़रा है वक्त लेकिन
गुज़रा है वक्त लेकिन
Dr fauzia Naseem shad
नाबालिक बच्चा पेट के लिए काम करे
नाबालिक बच्चा पेट के लिए काम करे
शेखर सिंह
अश्क तन्हाई उदासी रह गई - संदीप ठाकुर
अश्क तन्हाई उदासी रह गई - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
Saso ke dayre khuch is kadar simat kr rah gye
Saso ke dayre khuch is kadar simat kr rah gye
Sakshi Tripathi
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
💐प्रेम कौतुक-178💐
💐प्रेम कौतुक-178💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जनता मुफ्त बदनाम
जनता मुफ्त बदनाम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
बड़ा हिज्र -हिज्र करता है तू ,
बड़ा हिज्र -हिज्र करता है तू ,
Rohit yadav
मेल
मेल
Lalit Singh thakur
Loading...