कविता : दिल की धड़कन??
दिल की धड़कन ये,कुछ कहती है।
मेरी आँखों में तू,रब-सी रहती है।।
तेरा दीदार कुछ,अधूरा-सा है अभी।
शीतल पवन-सी,तू मन में बहती है।।
मैं तेरा आलिंगन,पाऊं हरपल मैं ही।
दिल के हरकोने,यही तमन्ना रहती है।।
तू दिले-चमन में,फूल-सी खिल जाओ।
मेरी आरज़ू हरपल,यही बस चाहती है।।
तेरा नूर आँखोंं का,ज़श्न बन जाए गर।
मेरी जुस्तज़ू इसे ही,क़ायनात कहती है।।
तेरा पलकेंं झुकाना,शर्माना अच्छा लगे।
हर अदा मस्ती का,गीत-सी लगती है।।
रेशमी जुल्फ़ें
बादल,आँखें घना सागर।
होठों की चुप्पी भी,ये कुछ कहती है।।
तेरा भोलापन मीठा,वाणी कोयल सम।
सुंदर विचार आभा,मन शांत करती है।।
तेरा पूरनूर यौवन,ताजमहल की छवि।
मन में असीम रस,प्रिया तू भरती है।।
“प्रीतम”तेरी प्रीत की गंगा में नहालूँ मैं।
मन की हर तरंग,यही कामना कहती है
……राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
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