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9 Apr 2020 · 1 min read

ख्वाबों को तोड़ कर उसका घर बनाता हूँ

मैं अपने ख्वाबों को तोड़ कर उसका घर बनाता हूँ
वो रूठ जाती है उसे अक्सर मनाता हूँ
नींद उड़ाने वाले चंद सपने अक्सर
सपने ही रह जाते है
वादा करने वाले हमराही जब राह छोड़ जाते है

मात्र रातें ही तो मिलने का सहारा रह जाती है
जब जब मरने का उपहार ख़ुशी ख़ुशी दे जाती है

प्रेम की मंडी में झूठे शब्दों का बाज़ार ही तो सजता है
जो समय की बहती धारा में बहता फिरता है

एक डाली के पंछी जब दूसरे दरख्तों
की डाली में आशियाँ बना लेते है
जीने,मरने के सारे वादे जुमले जैसे लगते है ।

भूपेंद्र रावत
4।04।2020

Language: Hindi
2 Likes · 274 Views
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