Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2016 · 1 min read

खपरैल. (दोहे)

मिट्टी के खपरैल घर , संजोये हैं गाँव |
वही चर्मराती खाट औ, घने नीम की छाँव ||

गाँवों में अब घर हुए, कितने आलीशान |
मगर कहाँ सबको मिला, है ऐसा वरदान ||

लाली जोते खेत जब, लल्लू बनता बैल |
चटकाती है पीठ नित, टपरी की खपरैल ||

पक्की सडकों पर जले, पगतल का दृढ चाम |
मिले नहीं मजदूर को , मगर गाँव में काम ||

तन-मन से कैसे मिटें , नीले कलुष निशान |
जाति-पाति का भेद जब, लेता है नित जान ||

~ अशोक कुमार रक्ताले.

Language: Hindi
2 Likes · 6 Comments · 428 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बगुले तटिनी तीर से,
बगुले तटिनी तीर से,
sushil sarna
आंधियां अपने उफान पर है
आंधियां अपने उफान पर है
कवि दीपक बवेजा
2322.पूर्णिका
2322.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आज का महाभारत 1
आज का महाभारत 1
Dr. Pradeep Kumar Sharma
!! यह तो सर गद्दारी है !!
!! यह तो सर गद्दारी है !!
Chunnu Lal Gupta
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
Neelam Sharma
जो लम्हें प्यार से जिया जाए,
जो लम्हें प्यार से जिया जाए,
Buddha Prakash
रंगमंच
रंगमंच
लक्ष्मी सिंह
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shyam Sundar Subramanian
" नयन अभिराम आये हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
अंधों के हाथ
अंधों के हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*आए लंका जीत कर, नगर अयोध्या-धाम(कुंडलिया)*
*आए लंका जीत कर, नगर अयोध्या-धाम(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
लोगो को उनको बाते ज्यादा अच्छी लगती है जो लोग उनके मन और रुच
लोगो को उनको बाते ज्यादा अच्छी लगती है जो लोग उनके मन और रुच
Rj Anand Prajapati
अपनी अपनी सोच
अपनी अपनी सोच
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
■ मुक्तक-
■ मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
एहसास
एहसास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
-- अजीत हूँ --
-- अजीत हूँ --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
अविकसित अपनी सोच को
अविकसित अपनी सोच को
Dr fauzia Naseem shad
"मोल"
Dr. Kishan tandon kranti
*हिंदी की बिंदी भी रखती है गजब का दम 💪🏻*
*हिंदी की बिंदी भी रखती है गजब का दम 💪🏻*
Radhakishan R. Mundhra
जो गगन जल थल में है सुख धाम है।
जो गगन जल थल में है सुख धाम है।
सत्य कुमार प्रेमी
अनकहे शब्द बहुत कुछ कह कर जाते हैं।
अनकहे शब्द बहुत कुछ कह कर जाते हैं।
Manisha Manjari
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
Harminder Kaur
नज़्म/गीत - वो मधुशाला, अब कहाँ
नज़्म/गीत - वो मधुशाला, अब कहाँ
अनिल कुमार
मिलने को उनसे दिल तो बहुत है बेताब मेरा
मिलने को उनसे दिल तो बहुत है बेताब मेरा
gurudeenverma198
मुझसे  नज़रें  मिलाओगे  क्या ।
मुझसे नज़रें मिलाओगे क्या ।
Shah Alam Hindustani
काँटों के बग़ैर
काँटों के बग़ैर
Vishal babu (vishu)
ज़िंदा हूं
ज़िंदा हूं
Sanjay ' शून्य'
तिरी खुबसुरती को करने बयां
तिरी खुबसुरती को करने बयां
Sonu sugandh
Loading...