Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2021 · 2 min read

क्योंकर जलाये वो, कुछ ख़त …

क्योंकर जलाये वो, कुछ ख़त महब्बत के
लिखवाये हसरत ने, जो तेरी चाहत के

अब भी ज़हन में हैं, बेशक जले वो ख़त
वो शब्द उल्फ़त के, मजरूह निस्बत के

अफ़साने क़ातिल के, क्या खूब उभरे हैं
मुझको सुनाने हैं, क़िस्से अदावत के

बीमार को जानाँ, क्योंकर सताते हो
मशहूर हैं क़िस्से, तेरी नज़ाकत के

था तेरी नफ़रत में, जज़्बात का जादू
जी भर के देखूँ मैं, ये सुर बग़ावत के

है पाक उल्फ़त तो, डर इश्क़ से कैसा
कल लोग ढूंढेंगे, क़िस्से सदाक़त के

नाहक जिया डरकर, मैं तेरी चाहत में
घुटते रहे अरमाँ, यूँ दर्दे-उल्फ़त के

क्यों धुँद-सी छाई, क्यों अजनबी हैं हम
क्या आप थे पंछी, इस प्रेम परवत के

क्यों देखकर उनको, होती नहीं राहत
क्या आ गया कोई, फिर बीच ग़फ़लत के

क्यों छीन ली मुझसे, सारी ख़ुशी तुमने
मुझको दिए हैं ग़म, क्यों तूने फ़ितरत के

क्यों पी न पाया मैं, बहते हुए आँसू
क़ाबिल नहीं था क्या, मैं तेरी फुरक़त के

तुमको नहीं उल्फ़त, तो छोड़िये साहब
पर सुर नहीं अच्छे, ऐ यार नफ़रत के

मंज़िल नहीं कोई, हैं मोड़ ही आगे
जाएँ कहाँ दिलबर, अब मारे क़िस्मत के

जब नाखुदा किश्ती, तूफ़ान में डूबे,
कैसे बढ़ें आगे, हम टूटी हिम्मत के

था इश्क़ में मेरा, ऊँचा कभी रुतबा
माना नहीं क़ाबिल, मैं आज अज़मत के

जी भर के रोये थे, बरसात हो जैसे
वो कष्टदायी पल, वो लम्हे रुख़्सत के

नीलाम था शा’इर, वो प्यार मुफ़लिस का
जज़्बात बे’मानी, दिन हाय! ग़ुर्बत के

थी ज़िन्दगी रोशन, तुम साथ थे मेरे
वो रौशनी खोई, अब बीच ज़ुल्मत के
•••
____________
(1.) मजरूह — घायल, आहत, ज़ख्मी।
(2.) निस्बत — लगाव; संबंध; ताल्लुक।
(3.) अदावत — शत्रुता, बैर, दुश्मनी।
(4.) जानाँ — प्रेमपात्र, महबूब, प्रेमिका, प्रेयसी।
(5.) सदाक़त — सत्यता, सच्चाई।
(6.) ग़फ़लत — असावधानी, बेपरवाही, अचेतनता, बेसुधी।
(7.) फ़ितरत — स्वभाव, प्रकृति, चालाकी, चालबाज़ी।
(8.) फुरक़त — वियोग, जुदाई।
(9.) नाखुदा — मल्लाह, नाविक।
(10.) अज़मत — बड़ाई, महिमा, गौरव।
(11.) रुख़्सत — बिछड़ना, विदा होना।
(12.) मुफ़लिस — ग़रीब, निर्धन।
(13.) ग़ुर्बत — परेशानी होना, दरिद्रता।
(14.) ज़ुल्मत — अंधकार, तम, तिमिर, अँधेरा, तारीकी।

[ग़ज़ल का मीटर — मुस्तफ़्यलुन + फेलुन + मुस्तफ़्यलुन + फेलुन / 2212 + 22 + 2212 + 22]

—नई दिल्ली

10 Likes · 98 Comments · 763 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
गांधी जी के नाम पर
गांधी जी के नाम पर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
💐प्रेम कौतुक-354💐
💐प्रेम कौतुक-354💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पति
पति
लक्ष्मी सिंह
👰🏾‍♀कजरेली👰🏾‍♀
👰🏾‍♀कजरेली👰🏾‍♀
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
सिद्धार्थ गोरखपुरी
खेत रोता है
खेत रोता है
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
किससे कहे दिल की बात को हम
किससे कहे दिल की बात को हम
gurudeenverma198
परिंदा
परिंदा
VINOD CHAUHAN
कभी किसी की मदद कर के देखना
कभी किसी की मदद कर के देखना
shabina. Naaz
*क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?*
*क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?*
Lokesh Singh
हास्य व्यंग्य
हास्य व्यंग्य
प्रीतम श्रावस्तवी
//...महापुरुष...//
//...महापुरुष...//
Chinta netam " मन "
यह कब जान पाता है एक फूल,
यह कब जान पाता है एक फूल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
■ भगवान भला करे वैज्ञानिकों का। 😊😊
■ भगवान भला करे वैज्ञानिकों का। 😊😊
*Author प्रणय प्रभात*
*सुना है आजकल हाकिम से, सेटिंग का जमाना है【हिंदी गजल/गीतिका】
*सुना है आजकल हाकिम से, सेटिंग का जमाना है【हिंदी गजल/गीतिका】
Ravi Prakash
माँ
माँ
Vijay kumar Pandey
जिम्मेदारियाॅं
जिम्मेदारियाॅं
Paras Nath Jha
🍁🌹🖤🌹🍁
🍁🌹🖤🌹🍁
शेखर सिंह
परशुराम का परशु खरीदो,
परशुराम का परशु खरीदो,
Satish Srijan
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
ओनिका सेतिया 'अनु '
आधुनिक नारी
आधुनिक नारी
Dr. Kishan tandon kranti
अंतराष्टीय मजदूर दिवस
अंतराष्टीय मजदूर दिवस
Ram Krishan Rastogi
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
Harminder Kaur
सरस्वती बंदना
सरस्वती बंदना
Basant Bhagawan Roy
हिन्दी के हित प्यार
हिन्दी के हित प्यार
surenderpal vaidya
आँखें शिकायत करती हैं गमों मे इस्तेमाल हमारा ही क्यों करते ह
आँखें शिकायत करती हैं गमों मे इस्तेमाल हमारा ही क्यों करते ह
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
" बच्चा दिल का सच्चा"
Dr Meenu Poonia
*खड़ी हूँ अभी उसी की गली*
*खड़ी हूँ अभी उसी की गली*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
युद्ध
युद्ध
Dr.Priya Soni Khare
Loading...