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19 Dec 2020 · 1 min read

कोरोना का आगाज़

कोरोना….कोरोना…कोरोना….
सुन- सुन कर आ गया सभी को रोना,
कितने लोगों को पड़ गया अपनों को खोना।
लोगों से दूर हो गया नींद और चैना ॥
कई महीनों के लॉकडाउन ने
स्वयं को पहचानने की शक्ति दी,
चाहे हो मीलों का सफ़र तय
करके अपने गाँव पहुँचने की ।
चाहे वो लंबा फ़ासला तय,
करके खुद के पहचान की।
चाहे वो बूढ़ा हो या बच्चा ,
सबने अपने अंदर के कलाकार को दस्तक दी।
पर था यदि वो आशावादी
तो यह दर्दनाक रास्ता,
मीलों का सफ़र,
खट्टे- मीठे अनुभवों के साथ,
तय कर अपनों से मिल गया।
नहीं तो सरकार की,
या अपने नसीब की
दुहाई देता रह गया।
याद रहे
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती
पर किनारे बैठे रहने से भी तो
नैया पार नहीं होती॥
मीरा ठाकुर

41 Likes · 56 Comments · 1239 Views
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