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6 Sep 2016 · 1 min read

कृष्ण की मुरली

मधुबन बजत मुरलि मधुर,
सुनि सुनि सुधि बिसारी है।
बजाय पुनि पुनि मधुर धुन,
स्व वश करत मुरारी है।
गृह तजि तजि धाय मोहन,
मुरलिधर हाय किते लुके।
मुरलि अधर रखत सततहि,
मुरलि अति विष धारी है।

Language: Hindi
1 Comment · 558 Views
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