Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Aug 2020 · 1 min read

कृषक का घर द्वार

कृषक का घर द्वार, काकी से हो घर बार।
जीने का हो अब सार, सार होना चाहिए ।
आतुर हो नैन जब, काकी ताके घर अब।
गिरवी बिन गहनों के, द्वार होना चाहिए।
पानी -पानी सरकार, बहे चूना माटी द्वार ।
शिशु रोवे बार-बार , प्यार होना चाहिए।
वोट बैंक देता राज, किसानों पे करें नाज,
राह देख राजकाज, वार होना चाहिए। ।

1 Like · 497 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
बदली बारिश बुंद से
बदली बारिश बुंद से
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
विचार
विचार
Godambari Negi
* सखी  जरा बात  सुन  लो *
* सखी जरा बात सुन लो *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चल मनवा चलें.....!!
चल मनवा चलें.....!!
Kanchan Khanna
दिल ये तो जानता हैं गुनाहगार कौन हैं,
दिल ये तो जानता हैं गुनाहगार कौन हैं,
Vishal babu (vishu)
"आतिशे-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
" जिन्दगी क्या है "
Pushpraj Anant
शहर
शहर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
धर्म अधर्म की बाते करते, पूरी मनवता को सतायेगा
धर्म अधर्म की बाते करते, पूरी मनवता को सतायेगा
Anil chobisa
मजबूरी
मजबूरी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*बालरूप श्रीराम (कुंडलिया)*
*बालरूप श्रीराम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ये नयी सभ्यता हमारी है
ये नयी सभ्यता हमारी है
Shweta Soni
"मनुष्यता से.."
Dr. Kishan tandon kranti
उल्फत अय्यार होता है कभी कबार
उल्फत अय्यार होता है कभी कबार
Vansh Agarwal
🙅चुनावी साल🙅
🙅चुनावी साल🙅
*Author प्रणय प्रभात*
प्रकृति
प्रकृति
Monika Verma
ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ,
ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
gurudeenverma198
बिन मौसम के ये बरसात कैसी
बिन मौसम के ये बरसात कैसी
Ram Krishan Rastogi
आस लगाए बैठे हैं कि कब उम्मीद का दामन भर जाए, कहने को दुनिया
आस लगाए बैठे हैं कि कब उम्मीद का दामन भर जाए, कहने को दुनिया
Shashi kala vyas
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
హాస్య కవిత
హాస్య కవిత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ज़िंदगी से शिकायत
ज़िंदगी से शिकायत
Dr fauzia Naseem shad
💐प्रेम कौतुक-184💐
💐प्रेम कौतुक-184💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
2379.पूर्णिका
2379.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
Johnny Ahmed 'क़ैस'
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हम कितने आँसू पीते हैं।
हम कितने आँसू पीते हैं।
Anil Mishra Prahari
पत्र गया जीमेल से,
पत्र गया जीमेल से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...