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18 Dec 2017 · 2 min read

किशोरावस्था तनाव ।

विषय किशोरावस्था मे मानसिक तनाव व कारण ।
विधा – गद्य ।
किशोरावस्था जीवन का परम मंगल काल हैं मनुष्य की श्रेष्ठता की शुरुआत का शुभ द्वार हैं ,सर्वश्रेष्ठ जीवन की दशा का काल हैं जीवन में जो भी विकसित व स्वच्छंद भाव भूमि की उड़ान होती है, सौंदर्य के फूल खिलते हैं जिज्ञासाओं की परमानुभूति होती है ,और भावी की जडे पोषित होती है , खुद के होने न होने का अहसास, अस्तित्व की पहचान और  वर्जित  सीमाओं के उल्लंघन का उमंग भरा जोश इसी काल की धरोहर है, स्वयं को खोजने और जानने की उत्कंठा का अहसास गहरापन इसी समय व्यक्ति अनुभूति मे लाता है ।
    किशोरावस्था जीवन का स्पंदन है जिसमे तन और मन के  सौंदर्य की अनुभूति के प्रति सजगता के साथ अनंत अभिप्साओं की यथार्थ भूमि बीच विलीन होने की मरू ज्वाला का दुखद अहसास भी है , मन रूपी चातकी के प्रेम विह्वल अभिलाषाओं पर तुषारापात होने की दशा में कर्ण तरसती प्रेम की जीवन घाटियों मे बरसती मधुर मादक बरसात की स्वर लहरियों की अभिलाषाओं का मृदुल मनहर भाव रस भी यही काल हैं ।
      एक अजीब झंझावात भरा विचारो का बादल हृदय धरा को घेर लेता है, एक अनचाही झिझक गति को रोकने लगती है, भावनाओ का समुद्र विशाल और गहरा होने लगता है, इस संक्रमण काल में एक हिचकिचाहट, एक भटकाव, एक नेह आमंत्रण और स्व चेतना की नव ऊर्जा बहुत कुछ उत्कर्ष अवस्था में धडकती रहती है, यह सम्मोहन का दौर है, जिसमे भाव जगत की संवेंगात्मक ऊर्जा अपनी पराकाष्ठा पर रहती है, जीवात्मा की अन्तर्निहीत प्रवृत्तियो का रहस्यमय गुंफन ही इस काल की पुंजी बन जाता है ।
     इस उम्र मे हर किशोर को अपने अहंकार की तलाश रहती है, जहां कही तख्ती लगी हो ” प्रवेश वर्जित है ” वही वही हर तरह की जोखिम उठाकर रहस्यानुभूति को महसूस करना चाहता है, यह वह दौर है जिसमे आकांक्षा ही आकांक्षा है तृप्ति का एक अकथ सफर यही से प्रारंभ होता है असंभव की मांग यही से उठती है, सौभाग्य के सपनो की जन्म स्थली है किशोरावस्था …..।।।

छगन लाल गर्ग “विज्ञ”!

Language: Hindi
Tag: लेख
1143 Views
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