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13 Feb 2020 · 1 min read

कातिल तो नहीं मिलता

हम साथ तो चले थे, ये मगर खबर नहीं थी,
हर माँझ को यकीनन साहिल तो नहीं मिलता।

जो नसीब में था बुझना तो चराग़ खुद बुझा है
रो रो के रोशनी का हासिल तो नहीं मिलता।

कोई चाहता सितारे, कोई चाँद ढूँढता है
दिल में उतर के देखे वो दिल तो नहीं मिलता।

अब कैसे खत्म होगी ये आरजू ए उल्फत
हर दिल को इस जहाँ में कातिल तो नहीं मिलता।

खाली है दिल की महफ़िल मैं यहाँ किसे बसा लूँ
दुनियाँ में दिल के माफ़िक हर दिल तो नहीं मिलता।

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