Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2020 · 1 min read

*नहीं कहीं भगवान रे*

कोरोना ने तय कर दीन्हा, मानो बात इंसान रे!
ये तो तय है मंदिर-मस्जिद,नहीं कहीं भगवान रे,
सबसे पहले करलो तुम मानवता की पहचान रे !
पंच तत्व पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि और आकाश,
मिल जाते स्वतः अपने में, क्यों घमण्ड करे इंसान रे!
छोटा-बड़ा नहीं कोई जग में, न कोई ऊँच महान रे,
न कोई जाति, न हो पाँति, सब मानव एक समान रे!
जब तक जीना तब तक सीना, राजा रंक फकीर,
महज उलझनों में फँसा है, जीवन ओ इंसान रे!
तेरा-मेरा इसका-उसका, झूठी दुनिया की शान रे,
इस पल की ये श्यामल बदली, उस पल में ढल जानी,
मयंक बुलबुला जीवन पानी का, कर न गर्व इंसान रे!

अपने ही देशवासियों (दलितों ) से छूत मानने वालों ! अछूत होकर स्वयं आज कैसा महसूस कर रहे हो ? जब अपने ही अपनों से वर्षों से छुआछूत करते आ रहे हों, तो सोचिए उन (अछूत, दलितों) पर क्‍या बीतती होगी!
ज़रा महसूस करो,
तुम्हारी नीचता को!
मानो न छूत उससे,
जो स्वयं लहु सींचता हो!!
ऊँच-नीच की रेखा खींच,
अत्याचार तुम करते आए!
प्रकृति ने भी इसीलिए,
आज तुमसे घुटने टिकवाए!
नीच कौन है सोचो दिल से,
वो जो है नीच सोचों से,
या मयंक हैं वंचित कोसों से!
घर-घर बैठे रहो आप बाहर पसरा है कोरोना |
सोसल डिस्टेंसिंग करो मगर अपनापन तुम छोड़ो ना |
मंदिर-मस्जिद सब अपने घर दर-दर उसको ढूँढो ना |
संकटकाल है सभी जानकर लाॕकडाउन को तोड़ो ना |

Language: Hindi
2 Comments · 249 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"शिक्षक तो बोलेगा”
पंकज कुमार कर्ण
चाहे किसी के साथ रहे तू , फिर भी मेरी याद आयेगी
चाहे किसी के साथ रहे तू , फिर भी मेरी याद आयेगी
gurudeenverma198
"अहङ्कारी स एव भवति यः सङ्घर्षं विना हि सर्वं लभते।
Mukul Koushik
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
शेखर सिंह
" भूलने में उसे तो ज़माने लगे "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
पिता
पिता
विजय कुमार अग्रवाल
माँ की आँखों में पिता / मुसाफ़िर बैठा
माँ की आँखों में पिता / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
ज़िंदगी इतनी मुश्किल भी नहीं
ज़िंदगी इतनी मुश्किल भी नहीं
Dheerja Sharma
मुकाम यू ही मिलते जाएंगे,
मुकाम यू ही मिलते जाएंगे,
Buddha Prakash
इज्जत कितनी देनी है जब ये लिबास तय करता है
इज्जत कितनी देनी है जब ये लिबास तय करता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हे नाथ कहो
हे नाथ कहो
Dr.Pratibha Prakash
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
दरवाज़े
दरवाज़े
Bodhisatva kastooriya
चंचल मन
चंचल मन
Dinesh Kumar Gangwar
बुझलहूँ आहाँ महान छी मुदा, रंगमंच पर फेसबुक मित्र छी!
बुझलहूँ आहाँ महान छी मुदा, रंगमंच पर फेसबुक मित्र छी!
DrLakshman Jha Parimal
नेहा सिंह राठौर
नेहा सिंह राठौर
Shekhar Chandra Mitra
मुस्कुरायें तो
मुस्कुरायें तो
sushil sarna
खुद को पाने में
खुद को पाने में
Dr fauzia Naseem shad
"खुशी मत मना"
Dr. Kishan tandon kranti
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
Phool gufran
वो मुझ को
वो मुझ को "दिल" " ज़िगर" "जान" सब बोलती है मुर्शद
Vishal babu (vishu)
"आग्रह"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"शब्द-सागर"
*Author प्रणय प्रभात*
दुविधा
दुविधा
Shyam Sundar Subramanian
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
Jitendra kumar
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
उड़ कर बहुत उड़े
उड़ कर बहुत उड़े
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
सेवा-भाव उदार था, विद्यालय का मूल (कुंडलिया)
सेवा-भाव उदार था, विद्यालय का मूल (कुंडलिया)
Ravi Prakash
Loading...