Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Nov 2016 · 1 min read

कश्मीर का दर्द

शिक्षा आज निशाना बन गई इस प्रदेश के गलियारों में ।
सुलग रहा हर रोज़ निकेतन क्या होगा उन परिवारों में ॥
जिनके बालक और बालिकाएं पढ़ने स्कूल सुबहा जाते है ।
कुशल वापसी होने पर ही साँस चैन की ले पाते है ॥
शिक्षा के ये वो मंदिर है जिन पर निर्भर अगली पीढ़ी ।
कुल 27 सुलग चुके है कल आयेगा नंबर किसका ॥
कब तक हम को सहना होगा कब तक डर कर रहना होगा ।
कब कश्मीर मेरे भारत का फ़िर से सुंदर
गहना होगा

विजय बिजनौरी

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 626 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from विजय कुमार अग्रवाल
View all
You may also like:
The Earth Moves
The Earth Moves
Buddha Prakash
कविता
कविता
Rambali Mishra
*इस बरस*
*इस बरस*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हुआ अच्छा कि मजनूँ
हुआ अच्छा कि मजनूँ
Satish Srijan
RATHOD SRAVAN WAS GREAT HONORED
RATHOD SRAVAN WAS GREAT HONORED
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
Kanchan Alok Malu
शामें दर शाम गुजरती जा रहीं हैं।
शामें दर शाम गुजरती जा रहीं हैं।
शिव प्रताप लोधी
जिंदगी और जीवन में अंतर हैं
जिंदगी और जीवन में अंतर हैं
Neeraj Agarwal
*कहीं जन्म की खुशियॉं हैं, तो कहीं मौत का गम है (हिंदी गजल ग
*कहीं जन्म की खुशियॉं हैं, तो कहीं मौत का गम है (हिंदी गजल ग
Ravi Prakash
हमनें अपना
हमनें अपना
Dr fauzia Naseem shad
वो कड़वी हक़ीक़त
वो कड़वी हक़ीक़त
पूर्वार्थ
आंखन तिमिर बढ़ा,
आंखन तिमिर बढ़ा,
Mahender Singh
काल  अटल संसार में,
काल अटल संसार में,
sushil sarna
* तुम न मिलती *
* तुम न मिलती *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आजा रे आजा घनश्याम तू आजा
आजा रे आजा घनश्याम तू आजा
gurudeenverma198
💐प्रेम कौतुक-368💐
💐प्रेम कौतुक-368💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
** फितरत **
** फितरत **
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
23/167.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/167.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
Aarti sirsat
(मुक्तक) जऱ-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
(मुक्तक) जऱ-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
लालटेन-छाप
लालटेन-छाप
*Author प्रणय प्रभात*
और कितना मुझे ज़िंदगी
और कितना मुझे ज़िंदगी
Shweta Soni
अपनी बड़ाई जब स्वयं करनी पड़े
अपनी बड़ाई जब स्वयं करनी पड़े
Paras Nath Jha
*नारी के सोलह श्रृंगार*
*नारी के सोलह श्रृंगार*
Dr. Vaishali Verma
पिता और पुत्र
पिता और पुत्र
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
एक शे'र
एक शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
Sampada
चल रे घोड़े चल
चल रे घोड़े चल
Dr. Kishan tandon kranti
✍️फिर वही आ गये...
✍️फिर वही आ गये...
'अशांत' शेखर
Loading...