Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Nov 2018 · 1 min read

कविता :- वो औरत एक मां है

कविता :- वो औरत एक मां है

उलझे हुए से फिरते हैं
नादिम सा एहसास लिए
दस्तबस्ता शहर में
वो नूर है
अंधेरे गुलिस्तां में ।
डरावने ख़ौफ़ के साये
हर शख्स बेगाने से
शहर भर के हंगामों में
वो कायनात है
उजड़े गुलिस्तां में ।
हाथ की लकीरें मिटती
जख्मों के निशानों से
दर्द-ए-दवा सी वो
ठंडे फव्वारे सी ।
खुदा भी झुके जिसके आगे
एक नुकरई खनक सी
फनकार है वो
जादूगरनी सी ।
आंखें भर भर आयें
जब लब कपकपायें
शबनम की बूंद वो
जन्नत की बारिश सी ।

( नादिम- लज़्ज़ित, दस्तबस्ता – बंधे हुए हाथ, नूर – ज्योति, कायनात – जन्नत, गुलिस्तां – गुलशन, नुकरई – चांदी जैसी )

— जयति जैन “नूतन” —

5 Likes · 18 Comments · 516 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"व्‍यालं बालमृणालतन्‍तुभिरसौ रोद्धुं समज्‍जृम्‍भते ।
Mukul Koushik
सांझा चूल्हा4
सांझा चूल्हा4
umesh mehra
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
Anju ( Ojhal )
💐Prodigy Love-3💐
💐Prodigy Love-3💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Ram
Ram
Sanjay ' शून्य'
One fails forward toward success - Charles Kettering
One fails forward toward success - Charles Kettering
पूर्वार्थ
फूल रहा जमकर फागुन,झूम उठा मन का आंगन
फूल रहा जमकर फागुन,झूम उठा मन का आंगन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
लगाव
लगाव
Arvina
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
मुस्कुराना चाहते हो
मुस्कुराना चाहते हो
surenderpal vaidya
मेरी गुड़िया
मेरी गुड़िया
Kanchan Khanna
बोलना , सुनना और समझना । इन तीनों के प्रभाव से व्यक्तित्व मे
बोलना , सुनना और समझना । इन तीनों के प्रभाव से व्यक्तित्व मे
Raju Gajbhiye
■ मुक्तक / पुरुषार्थ ही जीवंतता
■ मुक्तक / पुरुषार्थ ही जीवंतता
*Author प्रणय प्रभात*
परम तत्व का हूँ  अनुरागी
परम तत्व का हूँ अनुरागी
AJAY AMITABH SUMAN
ज़िन्दगी इतना तो
ज़िन्दगी इतना तो
Dr fauzia Naseem shad
परिवार
परिवार
Sandeep Pande
प्रेम निवेश है-2❤️
प्रेम निवेश है-2❤️
Rohit yadav
"प्रेम -मिलन '
DrLakshman Jha Parimal
नफ़रत का ज़हर
नफ़रत का ज़हर
Shekhar Chandra Mitra
✍️फिर वही आ गये...
✍️फिर वही आ गये...
'अशांत' शेखर
*विश्व योग का दिन पावन, इक्कीस जून को आता(गीत)*
*विश्व योग का दिन पावन, इक्कीस जून को आता(गीत)*
Ravi Prakash
"नजीर"
Dr. Kishan tandon kranti
आकुल बसंत!
आकुल बसंत!
Neelam Sharma
स्वाधीनता संग्राम
स्वाधीनता संग्राम
Prakash Chandra
यह तो बाद में ही मालूम होगा
यह तो बाद में ही मालूम होगा
gurudeenverma198
गीत
गीत
सत्य कुमार प्रेमी
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
Phool gufran
पहाड़ की सोच हम रखते हैं।
पहाड़ की सोच हम रखते हैं।
Neeraj Agarwal
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
लक्ष्मी सिंह
dream of change in society
dream of change in society
Desert fellow Rakesh
Loading...