??मालिक का नूर है कन्या??
मालिक ने नूर बख़्शा कन्या की फितरत से।
मानव मिटा दिया तूने पुत्र की हसरत से।।
अँधेरों में वो पली थी,उजालों में न ढ़ली थी।
क्या बेटी थी इसलिए,हृदय में खलबली थी।
क़ातिल क़त्ल कोख में कर माँगे खुशी किस कुदरत से।
मालिक ने नूर……………….।
संसार के इस चमन में दो फूल हैं अमन के।
क्या बेटा,क्या बेटी दोनों ही हैं नूर उपवन के।
करके भेद इनसे तू,भेद कर रहा है तू उल्फ़त से।
मालिक ने नूर………………..।
कोख में मिटाया तूने,जन्म देकर मिटाकर देख।
सुन कलयुगी माँ हूँ तेरा मैं प्रतिरूप और उल्लेख।
देकर जन्म मुझे माँ,पाले हर खुशी तू कुदरत से।
मालिक ने नूर…………………।