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9 Apr 2020 · 1 min read

कलम

उसके हाथ में कलम थी

जादुई छड़ी की जगह

दुपट्टा लहरा रहा था

सफेद पंखों की जगह

वह परी नहीं थी

पर लग रही थी

परी की तरह

अपने हाथ की कलम मुझे दे

उसने कहा था

यह उस सैनिक की अमानत है

जो अब नहीं रहा था

बिना पीछे देखे

वह चली जा रही थी

नदी की तरह

वह कलम अभी भी है

मेरे पास

थकी थकी सी

उदास उदास

शायद वह नहीं कह पायी कुछ

एक पति की तरह

Language: Hindi
2 Comments · 532 Views
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