Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Oct 2017 · 1 min read

करोगी तुम सोलह श्रृंगार, निहारोगी दर्पण हर बार !**************

करोगी तुम सोलह श्रृंगार,
निहारोगी दर्पण हर बार !*******************
रूप यौवन अनुपम अभिराम
बसन छीने छवि कोटिक काम
नयन तकते न थकें अविराम
प्रकृति का सुन्दरतम उपहार,
प्रीत का ज्यों अटूट आधार
करोगी तुम सोलह श्रृंगार,
निहारोगी दर्पण हर बार !*******************
देखता कौन तुम्हे ये मौन
दर्प दर्पण का छीने कौन
ठिठक यूँ ही दर्पण रह जाए
मूक दर्शक ज्यों हो असहाय
तुम्हें यूँ पल पल रहा निहार
करोगी तुम सोलह श्रृंगार,
निहारोगी दर्पण हर बार !*******************
रूप रस रची गंध अनुराग
प्रीत बस पावन मधुर सुहाग
भ्रमर गुंजित मदमस्त पराग
मौन ही बस मन की मनुहार
विकसता जहाँ प्रीत त्यौहार
करोगी तुम सोलह श्रृंगार,
निहारोगी दर्पण हर बार !*******************

Language: Hindi
549 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनुराग दीक्षित
View all
You may also like:
"इफ़्तिताह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
Neeraj Agarwal
मेरा फलसफा
मेरा फलसफा
umesh mehra
पिता
पिता
Dr.Priya Soni Khare
मुझे भी
मुझे भी "याद" रखना,, जब लिखो "तारीफ " वफ़ा की.
Ranjeet kumar patre
कोई किसी का कहां हुआ है
कोई किसी का कहां हुआ है
Dr fauzia Naseem shad
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
माटी में है मां की ममता
माटी में है मां की ममता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
- शेखर सिंह
- शेखर सिंह
शेखर सिंह
कल्पनाओं की कलम उठे तो, कहानियां स्वयं को रचवातीं हैं।
कल्पनाओं की कलम उठे तो, कहानियां स्वयं को रचवातीं हैं।
Manisha Manjari
*कौशल्या (कुंडलिया)*
*कौशल्या (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
परवाज़ की कोशिश
परवाज़ की कोशिश
Shekhar Chandra Mitra
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Sakshi Tripathi
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
Dr Tabassum Jahan
2255.
2255.
Dr.Khedu Bharti
■ आज नहीं अभी 😊😊
■ आज नहीं अभी 😊😊
*Author प्रणय प्रभात*
वो किताब अब भी जिन्दा है।
वो किताब अब भी जिन्दा है।
दुर्गा प्रसाद नाग
ख्वाब दिखाती हसरतें ,
ख्वाब दिखाती हसरतें ,
sushil sarna
भगवन नाम
भगवन नाम
लक्ष्मी सिंह
मतदान
मतदान
साहिल
"रिश्ते टूट जाते हैं"
Dr. Kishan tandon kranti
धर्म और विडम्बना
धर्म और विडम्बना
Mahender Singh
लागे न जियरा अब मोरा इस गाँव में।
लागे न जियरा अब मोरा इस गाँव में।
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
पराया हुआ मायका
पराया हुआ मायका
विक्रम कुमार
दुल्हन जब तुमको मैं, अपनी बनाऊंगा
दुल्हन जब तुमको मैं, अपनी बनाऊंगा
gurudeenverma198
*होली*
*होली*
Dr. Priya Gupta
गैरों से कोई नाराजगी नहीं
गैरों से कोई नाराजगी नहीं
Harminder Kaur
तेरी इबादत करूँ, कि शिकायत करूँ
तेरी इबादत करूँ, कि शिकायत करूँ
VINOD CHAUHAN
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
|| हवा चाल टेढ़ी चल रही है ||
|| हवा चाल टेढ़ी चल रही है ||
Dr Pranav Gautam
Loading...