कफ्न की कीमत चुकानी रह गयी
कर्ज वो सारा चुकाकर मर गया
कफ्न की कीमत चुकानी रह गयी
कर के वादा आज भी आये न वो
बस महकती रातरानी रह गयी
कर ही डाली मैंने सारी कोशिशें
बस लकीरों से निभानी रह गयी
प्यार का होने लगा सौदा है अब
दिल की बस कीमत लगानी रह गयी
खो गयी इंसान की पहचान अब
टोपियाँ, माला निशानी रह गयी
पेट पर पत्थर रखा था अब तलक
रात सड़कों पर बितानी रह गयी
मिल ही जायेगा तुम्हें तुम सा कोई
बात ये तुमको बतानी रह गयी