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13 Mar 2019 · 1 min read

कपड़ा तेरी अजब कहानी

रात का अंधेरा
लाज बचाती वह
दुर्योधन के
चीर हरण से
उम्मीद नहीं
आएगा किसन
कोई आज

कपड़ा आज
लगता मोहताज
शरीर का
कपड़ा गायब
होता जाता
लज्जा अपने में
सिमटती जाती

रहेगी मर्यादा में
जब बहन बेटियां
कपड़े इज्जत
बचाएंगे उनकी

और आखिर में

कपड़ा तेरी
अजब कहानी
जिंदगी भर पहने जो
इन्सान कपड़े रंगीले
सफेद कफन ही
साथी आखिर उसका

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल

Language: Hindi
289 Views
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