Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2017 · 1 min read

ओ कृष्णा

????
ओ कृष्णा!
मौत की आखिरी क्षण तक
तू मुझे थामें रख।
मैं मिट जाना चाहती हूँ,
तेरे मुहब्बत के नाम पर।

ओ कृष्णा!
तू मुझे बाँसुरी बना ले,
अपने अधरों से लगा ले।

ओ कान्हा!
मेरे मन के तार
कुछ इस तरह से झनका दे,
मेरे हर दर्द को
तुम अपने गले लगा ले।

ओ कृष्णा!
मेरे मन की तड़प को,
अपने मन से सुन लो।
जो बात लब ना कह पाई,
उसे मेरी आँखों में पढ़ लो।

ओ कृष्णा!
मान-मर्यादा तज तेरी गोद में पड़ी हूँ मैं।
तेरी बाँसुरी की धुन पर बेसुध पड़ी हूँ मैं।
ओ मेरे कान्हा अब तुम ही सम्हालो मुझे,
तेरे ही चरणों में लिपटी पड़ी हूँ मैं।

ओ कृष्णा!
अब तुम ही बिगारे, तुम ही सँवारे,
जीवन की ये डोर किया तेरे हवाले।
???—लक्ष्मी सिंह ?☺

Language: Hindi
342 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
अकेलापन
अकेलापन
लक्ष्मी सिंह
सरस्वती वंदना-4
सरस्वती वंदना-4
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*भूमिका*
*भूमिका*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-524💐
💐प्रेम कौतुक-524💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जीवन की सच्चाई
जीवन की सच्चाई
Sidhartha Mishra
Let yourself loose,
Let yourself loose,
Dhriti Mishra
एक साक्षात्कार - चाँद के साथ
एक साक्षात्कार - चाँद के साथ
Atul "Krishn"
All good
All good
DR ARUN KUMAR SHASTRI
परिवार
परिवार
नवीन जोशी 'नवल'
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वो एक विभा..
वो एक विभा..
Parvat Singh Rajput
गेसू सारे आबनूसी,
गेसू सारे आबनूसी,
Satish Srijan
#लघुकथा- चुनावी साल, वही बवाल
#लघुकथा- चुनावी साल, वही बवाल
*Author प्रणय प्रभात*
3272.*पूर्णिका*
3272.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*”ममता”* पार्ट-1
*”ममता”* पार्ट-1
Radhakishan R. Mundhra
सवाल
सवाल
Manisha Manjari
मेरा सोमवार
मेरा सोमवार
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
दोहे - झटपट
दोहे - झटपट
Mahender Singh
प्यार समंदर
प्यार समंदर
Ramswaroop Dinkar
संवेदनाओं का भव्य संसार
संवेदनाओं का भव्य संसार
Ritu Asooja
संदेश
संदेश
Shyam Sundar Subramanian
तुम्हीं  से  मेरी   जिंदगानी  रहेगी।
तुम्हीं से मेरी जिंदगानी रहेगी।
Rituraj shivem verma
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
खंडहर
खंडहर
Tarkeshwari 'sudhi'
मंदिर जाना चाहिए
मंदिर जाना चाहिए
जगदीश लववंशी
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
Rj Anand Prajapati
हम तो मतदान करेंगे...!
हम तो मतदान करेंगे...!
मनोज कर्ण
Loading...