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4 Aug 2019 · 1 min read

ऐ दोस्त मेरे

मुझे नहीं पता
तुम कब ,क्यों और कैसे आ गए
अजनबी ही थे तुम मेरे लिए
और मैं तुम्हारे लिए
पर जब से तुम आये हो
मुझे मेरा हो कर रहने ही नहीं दिया
मुझे अपना बना लिया
मेरी साँसों में घुल कर
दखलंदाजियाँ करने लगे
ये जिस्म मेरा था
और ये दिल भी
पर तुम इसमें खामखाह धड़कने लगे हो

अजीब ही हो यार तुम
मेरे हर दर्द को
मुझसे पहले जान लेते हो
हर एक तूफान जो
मेरे अस्तित्व को हिलाने आता है
उसे मुझसे पहले ही पहचान लेते हो
आखिर कैसे मेरे जज्बातों को समझ लेते हो
क्या कुछ जादू-वादू आता है तुम्हें
जो मेरे हर गम को छू मंतर कर देते हो
जब भी भटकाने लगता है जमाना
तुम उंगली पकड़ करने आ ही जाते हो
ऐ दोस्त मेरे ,अब तो मेरी जान ही हो तुम—अभिषेक राजहंस

Language: Hindi
1 Like · 341 Views
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