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7 Apr 2020 · 1 min read

ऐसा हुआ

दूर तो उनको होना ही था ,कोरोना का नाम हुआ।
इसी बात पे ही मेरा झगड़ा रोज सुबह औ शाम हुआ।

आइसलेट किया मुझको और प्रेम विषाणु मार दिया ।
जिसके प्यार में गुम रहता दिल आज वही गुमनाम हुआ।।

हस्तरेखा सबकी मिलती तब कोई घटना घटती है ।
भाग्य सभी का शामिल था कैकई के सर इल्जाम हुआ। ।

भू लोक में राजा या हो रंक , विवश भाग्य के आगे हैं।
सूर्य पुत्र भी शुद पुत्र के नाम से ही बदनाम हुआ ।।

लक्ष्मण भरत और हनुमान ,बने कर्म से जग में महान।
त्यागा तिनके सा राज पाठ ,वो पुरषोत्तम श्रीराम हुआ ।

इक पल की भी दूरी मेंहोती अश्कों की बरसातें।
सोच जुदाई में साजन क्या आंखों का अंजाम हुआ।।

क्रोध अहम लालच करता सर्वनाश अत्याचारी का ।
रावण कंश और दुर्योधन सबका दुखद परिणाम हुआ।

सुख दुख के पहियों से अपने जीवन रथ की डोर बँधी।
साँसों के घोड़े को लेकिन अंत मे ही विश्राम हुआ।

✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

1 Comment · 254 Views
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