Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2016 · 1 min read

खंजन

एक सुबह
एक सुबह देखी मैंने खंजन
तरुवर साख पे वो बैठी थी
नैन बसी कोई अभिलाषा
वो हृदय आस लिए बैठी थी|

आते जाते हर पंक्षी को वो
विरल भांति से तकती थी
जैसे कोई लाया हो सन्देशा
फिर निरा उदास वो होती थी|

साहस कर एक दिन उड़ बैठी
ठिठकी पहले थोड़ी सी कांपी
गगन ऊंचाई जब उसने नापी
प्रसन्न हृदय हिलोर फिर ली थी
कर पुरुषार्थ क्यों तू भरमाया
मन आनन्द गगन का भाया
उठ मनुज क्यों तू अलसाया सुखद
वो ईश मिलन की प्रसन्नता वो थी
लक्ष्य तेरा है तुझे पुकारे
खंजन भांति तू किसे निहारे
सोच जरा क्यों जन्म मिला है
भरी खिन्नता तुझमें क्यों थी

मानव श्रेष्ठ का तन ये दिया है
जिसने प्राण वरदान दिया है
उद्देश्य क्या तेरे जीवन का
आज हृदय यही आस जगी थी |

एक मात्र सत्य सृष्टि का
खिला तुझमे अंश उसी का
सत्य प्रेम का विस्तार करो
उठ उत्कृष्ट कृति खड़ी थी |

उस ज्ञान मार्ग का ध्यान धरो
सर्वोच्च शक्ति का वरदान बनो
करो जाग्रत स्वयं में अंश उसकी
आज उल्लास मिली घड़ी थी

Language: Hindi
12 Likes · 2 Comments · 501 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all
You may also like:
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
Manisha Manjari
किसी के दिल में चाह तो ,
किसी के दिल में चाह तो ,
Manju sagar
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
ruby kumari
एक फूल
एक फूल
Anil "Aadarsh"
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
Rj Anand Prajapati
शिक्षा एवं धर्म
शिक्षा एवं धर्म
Abhineet Mittal
💐प्रेम कौतुक-221💐
💐प्रेम कौतुक-221💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"निर्णय आपका"
Dr. Kishan tandon kranti
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
सदियों से रस्सी रही,
सदियों से रस्सी रही,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
एक समय के बाद
एक समय के बाद
हिमांशु Kulshrestha
■ सार संक्षेप...
■ सार संक्षेप...
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
Vindhya Prakash Mishra
*आम आदमी क्या कर लेगा, जब चाहे दुत्कारो (मुक्तक)*
*आम आदमी क्या कर लेगा, जब चाहे दुत्कारो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ज़िंदगी एक जाम है
ज़िंदगी एक जाम है
Shekhar Chandra Mitra
हालात और मुकद्दर का
हालात और मुकद्दर का
Dr fauzia Naseem shad
कौन कहता है ज़ज्बात के रंग होते नहीं
कौन कहता है ज़ज्बात के रंग होते नहीं
Shweta Soni
एक अजीब सी आग लगी है जिंदगी में,
एक अजीब सी आग लगी है जिंदगी में,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अजब गजब
अजब गजब
साहिल
जो उमेश हैं, जो महेश हैं, वे ही हैं भोले शंकर
जो उमेश हैं, जो महेश हैं, वे ही हैं भोले शंकर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
Pramila sultan
पीर पराई
पीर पराई
Satish Srijan
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
Shivkumar Bilagrami
2851.*पूर्णिका*
2851.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
शेखर सिंह
जी रही हूँ
जी रही हूँ
Pratibha Pandey
मुहब्बत हुयी थी
मुहब्बत हुयी थी
shabina. Naaz
दिल में है जो बात
दिल में है जो बात
Surinder blackpen
Loading...