एक रूमानीकविता
(एक रूमानीकविता )
होठों पर उसका नाम हुआ
जिसके लिए वह बदनाम हुआ
दिल भी जिसका गुलाम हुआ
वह समझ न पाये प्रिय प्रीत
न्यौछावर उसपर सुबह शाम हुआ
जिसकी पूजा करने से ही
जगह पवित्र धाम हुआ
वह समझ न पायी प्रिय प्रीत
जिसके लिए वह बदनाम हुआ
सम्पर्पित होकर अपनो पर
देखता है तस्वीरो पर
वह पागल आठो याम हुआ
वह समझ न पाये प्रिय प्रीत
जिसके लिए वह बदनाम हुआ
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र