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14 Mar 2019 · 1 min read

एक मुलाकात

दो पल सुस्ताने
जीवन पथ की
थकान मिटाने,
आज खोले मन के
किबाड़……
तो हाथ आ गया
कोने में दुबका
नादान बचपन….
जो जनता था कभी
बिना बात के जश्न मनाना….
आज बैठा था एकदम चुपचाप
खींच कर उसको बाहर निकाला
प्यार से सहलाया
फिर से मुस्कुराना सिखाया…..
वहीं पास खड़ा था चंचल यौवन
जो कभी चाहता था
आसमान में उड़ना, सपने देखना…
उसे सब याद दिलाया
रंगों से फिर से सजाया….
और थे वहां
कई अनमोल पल…
किसी का प्यार
तो था किसी का
दुलार और आर्शीवाद भी,
कुछ पूरे….
तो कुछ अधूरे ख्वाब
सब को सहेजा,
भर लिया अपनी झोली में
और मिटा ली
अपनी बरसों की थकान ।।

सीमा कटोच
14/03/2019

Language: Hindi
6 Likes · 6 Comments · 295 Views
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