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28 Jul 2020 · 1 min read

उम्र के स्याह सलेट पे

उम्र के स्याह सिलेट पे
हर लम्हा
दर्ज होता रहता है …
वस्ल की उम्मीदों वाला सुबह
हंसता है … तो
हिज्र के दामन से लिपटा रात भी तो
भीत पकड़ कर रोता रहता है
किताबों के पन्नों से लिपटा मोर पंख
कभी धीरे धीरे बढ़ता रहता है
कभी गुलाब की पंखुड़ियां
सूख कर स्याह सी, मलीन सी हो
पन्नों में सिमटी रहती है
यादों के नर्म धागे से लिपटी रहती है
चांद कभी पूरा होकर ठुमकता है
कभी कभी तो…
ठिठुर कर अब्र में खुद को खोता रहता है
चातक के पिहू पीहू में रोता रहता है
उम्र के स्याह सलेट पे
जाने क्या क्या दर्ज होता रहता है
कभी खुशी का गीत
कभी जीवन में संगीत
कभी समसानों से धुआं उठता रहता है
कभी घुप चुप खामोशी को
खामोशी से सुनता रहता है
हर लम्हा खुद को दर्ज करता रहता है
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 258 Views
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