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27 Aug 2020 · 1 min read

आशियाना

आशियाना
==============
कहीं भूलो भटको
या रहो कहीं भी,
मगर सच तो यही है कि
काम तो आता है
आशियाना अपनों का।
बडा़ घमंड है मुझे
अपनी काबिलियत पर
धन,दौलत, ऐश्वर्य पर,
पर शायद मैं भूल गया हूँ,
कि जब सारे मिलकर
ठोकर लगाते है,
तब हमारे अपने ही
आशियाने काम आते हैं।
तब हम अपने गुरूर
पर शर्मिंदा हो
खुद से आँख तक नहीं मिला पाते।
क्योंकि तब तक हमारी आँखो के
परदे खुल जाते हैं,
अपने ही आशियाने काम आते हैं,
असली सूकून दे पाते हैं।
✍सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
2 Comments · 201 Views
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