Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2017 · 4 min read

आरक्षण का दंश

वर्तमान समय में हर क्षेत्र में आरक्षण विद्यमान है,|चिकित्सक, इंजिनियर, अध्यापक लगभग सभी क्षेत्रों में आरक्षण का विष घुला हुआ है | यदि आप किसी भी सरकारी नौकरी में जाना चाहते है तो आपको आरक्षण रुपी समस्या से दो चार होना पड़ता है आपको आरक्षण के समीकरण को समझाना होता है क्योंकि सवाल यहाँ आपकी योग्यता का नही है बल्कि आरक्षण रुपी दानव की संतुष्टि का है जहां योग्यता को पूर्णरूप से अनदेखा किया जा रहा है|
आज वर्तमान भारत एक भीषण रोग से ग्रसित है और इस महारोग का नाम है “आरक्षण “ आज समाज में आरक्षण पाने की ऐसी भीषण आंधी चल पड़ी जिसने योग्यता रुपी वटवृक्ष की जड़ों को मूल से हिला दिया है | ये आंधी समूचे जन मानस को झकझोर रही है, आज हर जाति के व्यक्ति के सुर बदले हुए है हर व्यक्ति आरक्षण रुपी बैसाखियों के सहारे मंजिल तक पहूँचना चाहता है |आज परिस्थितियाँ ऐसी है की समाज को अपनी योग्यताओं पर तनिक भी विश्वाश नही रहा है | कुछ विशेष सुविधाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए समाज को देश को चाहे कितना भी त्रास झेलना पड़े व्यक्ति उसकी परवाह किये बिना केवल और केवल आरक्षण प्राप्त करना चाहता है| अपने थोड़े से व्यक्तिगत लाभ को प्राप्त करने की अंधी दौड़ में लगे हुए व्यक्ति की सोच ये हो गई है की उसे लाभ होना चाहिए चाहे उस लाभ को प्राप्त करने में उसे किसी भी अन्य व्यक्ति अथवा समाज को नुकसान ही क्यों न पहूँचाना पड़े|
क्या व्यक्ति की योग्यता का कोई महत्व नही रह गया है ? संविधान ने ये सुविधा केवल उन लोगो के लिए और कुछ समय के लिए प्रारम्भ की थी जो समाज में पिछड़ गये थे और जिनका सामाजिक स्तर तेज़ गति से सुधारना आवश्यक था | लेकिन ऐसा हुआ नही आज भी गरीब व्यक्ति की स्थिति आज़ादी के 64 वर्षों बाद भी ज्यों की त्यों बनी हुई है ; आरक्षण तो छोडिये आज भी एक औसत व्यक्ति से संविधान द्वारा प्रदत्त उसके अधिकारों के बारे में पूछेंगे तो व्यक्ति अपने अधिकार नही बता पायेगा तो प्रश्न उठता है की ये आरक्षण की आग लगाई किसने ये निश्चित रूप से सामज के वो ठेकेदार है जो आरक्षण की मलाई खाने के लिए प्रदर्शन कर ना केवल शासन की व्यवस्थाओं को बिगाड़ रहे है बल्कि अपनी जाति के गौरव को भी लज्जित कर रहे है| ये केवल दया के पात्र हो सकते है सम्मान के नही |
क्या आप लोगों को ऐसा नही लगता की आरक्षण यदि दिया भी जा रहा है तो कम से कम उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों को आरक्षण मुक्त रखना चाहिए जो समाज की नींव का निर्माण कर रहे है | एक अद्यापक जो राष्ट्र का निर्माण करने में अपना विशेष योगदान रखता है उसका चयन आरक्षण नही बल्कि योग्यता के आधार पर होना चाहिए एक चिकित्सक जिसके हाथों में जीवन मृत्यु का वास है उस चिकित्सक का चयन आरक्षण के आधार पर नही अपितु योग्यता के आधार पर होना चाहिए|
लेकिन नही वर्तमान परिस्थितियाँ इसके विपरीत है एक सामान्य श्रेणी का युवा उम्मीदवार केवल इस लिए पिछड़ जाता है क्योकि उसकी योग्यताओं को आरक्षण रुपी सर्प ने डंस कर विषैला कर दिया है और ऐसी विषैली मानसिकता वाला युवक समाज में विष का प्रवाह ही कर सकता है; जिसे हम समाज में कई अन्य समस्याओं के रूप में देखते है| ऐसी परिस्थियियाँ युवाओं में चिढ़चिढ़ाहट और समाजिक व्यवस्थाओं के प्रति असंतोष पैदा करता है| जो उसके समूचे व्यक्तित्व और सोच को बदल कर रख देता है |
ये कैसी विडम्बना है इस देश की जहां योग्यता रुपी पांचाली सुबक है और आरक्षण रुपी दुशाषन उसका चिर हरण कर रहा है | इतिहास की इस घटना के परिणाम से सभी लोग परिचित है तो क्या हमारा देश और समाज एक और युध्द की पृष्ठभूमि तैयार कर रहा है ? ये ज्वलंत प्रश्न हर समाज के व्यक्ति को अपने अंतर से पूछना चाहिए |
क्या हमारी राज व्यवस्था इतनी कमजोर है की इसका विरोध नही कर सकती क्या ऐसा नही लगता की हमारा राजतन्त्र भी “आरक्षण नीति” पर गंभीरता से विचार ना करके हमारे बीच जातिगत वैमनस्य को बढ़ावा दे रहा है | कुछ लोगो द्वारा प्रदर्शन करना और फिर सरकार का मान जाना या तो थोड़े आश्वासन देकर समस्या को कुछ समय के लिए टाल देना क्या यही इन समस्याओं का समाधान है? इसके परिणाम स्वरुप समाज में असंतोष और अलगाव का जन्म होता है | क्या इसका दोष हमारी अक्षम राज व्यवस्था को नही जाता |
मै केवल युवा वर्ग से ही आग्रह करना चाहता हूँ; की वो अपनी योग्यता पर विश्वास करें और अनावश्यक दया के पात्र न बने मेरे युवा मित्रो आप में अनंत योग्यताएं है उन्हें विकसित करें क्योंकि आप ही इस समस्या से देश को बचा सकते है|
आज से हम ये संकल्प करें की हम अपने देश में अपने समाज में आरक्षण रुपी दानव को हावी नही होने देंगे और अपनी मेहनत से अपनी योग्यता को सिद्ध करेंगे तो निश्चित रूप से आये दिन होने वाली हडतालों और प्रदर्शनों से मुक्त देश का निर्माण कर सकेंगे|

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 516 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Meri Jung Talwar se nahin hai
Meri Jung Talwar se nahin hai
Ankita Patel
शेर अर्ज किया है
शेर अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
उस रात .....
उस रात .....
sushil sarna
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
Paras Nath Jha
कहानी- 'भूरा'
कहानी- 'भूरा'
Pratibhasharma
अतिथि देवोभवः
अतिथि देवोभवः
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
राना दोहावली- तुलसी
राना दोहावली- तुलसी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वादे खिलाफी भी कर,
वादे खिलाफी भी कर,
Mahender Singh
होली की आयी बहार।
होली की आयी बहार।
Anil Mishra Prahari
दिवाली
दिवाली
नूरफातिमा खातून नूरी
-- मंदिर में ड्रेस कोड़ --
-- मंदिर में ड्रेस कोड़ --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
पिता का पता
पिता का पता
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
💐प्रेम कौतुक-393💐
💐प्रेम कौतुक-393💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
याद
याद
Kanchan Khanna
दुआ पर लिखे अशआर
दुआ पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
कट रही हैं दिन तेरे बिन
कट रही हैं दिन तेरे बिन
Shakil Alam
■ जय जिनेन्द्र
■ जय जिनेन्द्र
*Author प्रणय प्रभात*
ख़त्म हुईं सब दावतें, मस्ती यारो संग
ख़त्म हुईं सब दावतें, मस्ती यारो संग
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
लाभ की इच्छा से ही लोभ का जन्म होता है।
लाभ की इच्छा से ही लोभ का जन्म होता है।
Rj Anand Prajapati
हुनर हर जिंदगी का आपने हमको सिखा दिया।
हुनर हर जिंदगी का आपने हमको सिखा दिया।
Phool gufran
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
3243.*पूर्णिका*
3243.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शून्य से अनन्त
शून्य से अनन्त
The_dk_poetry
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
gurudeenverma198
ध्यान
ध्यान
Monika Verma
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
Priya princess panwar
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
!..............!
!..............!
शेखर सिंह
#एकअबोधबालक
#एकअबोधबालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
खाने में हल्की रही, मधुर मूँग की दाल(कुंडलिया)
खाने में हल्की रही, मधुर मूँग की दाल(कुंडलिया)
Ravi Prakash
Loading...