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28 Jan 2020 · 1 min read

वक्त का मार है

विमोहाछंद_
मापिनी 212 212

वक्त का मार है।
आज बीमार है।

क्या करे वो भला,
आप लाचार है।

भोग पाया नहीं,
जीभ में लार है।

चीखने वो लगा,
जिंदगी खार है।

साथ देता नहीं,
मित्र बेकार है।

खूब सेवा करे,
संगिनी प्यार है।

मोह माया भरा,
देख संसार है।

मोक्ष पाया वही,
जो गया पार है।

दूर देखो वहाँ,
देव का द्वार है।

-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

2 Likes · 1 Comment · 394 Views
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