आंतकवाद
आंतकवादी गद्दारों क्यों छिपकर वार करते हो
क्यूँ छुप छुप के वार करते हो ,,,,,,,,,
गीदड़ की भांति क्यों हिन्द की जनता पर टूट पड़ते हो,,,,,,
हो मर्द की औलाद तो सामने से दो दो हाथ करो,,,,,,,,
बीवी के पल्लू में जाकर क्यूँ छिपते हो,,,,,,,,,,,,,
इंसानियत तो तुम में मर चुकी है,,,,,,,,,,
खुलेआम गोला बारूद इंसानो पर दागते फिरते हो,,,,,,,
क्या बिगाड़ा है तुम्हारा मासूम बच्चों ने और बूढो ने,,,,,,,,,
क्यों उनके खून से अपना हाथ रंगते हो,,,,,,
आंतकवादी कुत्तों न तुम्हारी जात न धर्म
कुछ होता है,,,,,
तुम में तो किसी राक्षक का ही साया पलता है,,,,,,,,,,,,,,,
चंद रूपयों और शोहरत की ख़ातिर नागवारो तुम अपना ईमान बेचते हो,,,,,,,,,,,,,,,
सीने में तुम्हारी दया का नामो निशान मिट चुका है,,,,,,,,,,,,,,,,
तुम भेड़ियों और कुत्तों के झुंड बनाकर निहथतो पर प्रहार करते हों,,,,,,,,
मातृभूमि को मेरे क्यूँ छीनने का प्रयास करते हो,,,,,,,,,,,,,,,,
सरहद पार छुप छुप के तुम क्यों इतना घिनोना काम करते हो,,,,,,,,,,,,।।।।।
तुम्हारे जुल्मों सितम के आगे जनता सहम गयी है,,,,,,,,,,,,,,
तुम आतँकवादी गद्दारों अपनी पूंछ को क्यों टेडी रखते हो,,,,,,,,,,,,
मत उठाओ इंसानो के सीधेपन का नफा,,,,,,,
जाग गए ये सोते हुए शेर तो खाल को खींच लेंगे तुम्हारी,,
जिस पर तुम नाज करते हो,,,,,,
भूख प्यास और गरीबी से परेशान है पहले ही जनता,,,,,,,,,,
फिर ऊपर से तुम्हारे काले मंसूबो का शिकार होती है जनता,,,,,,,,,,
मत छीनो तुम इनके आशियाँ,मत करो इन्हें तुम मातृभूमि से जुदा,,,,,,,,,,
रहने दो मेरे मेरे देश मे अमन शांति, और करने दो सबको एक दूजे के लिए दुआ।।।।।।।
रचनाकार गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मन्दसौर
मोबाइल नंबर 7772931211
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