Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2016 · 1 min read

आँसू दो चार लिखने हैं।

गीतिका

अभी भारत की’ छाती पर कई उद्गार लिखने हैं।
हृदय की टीस के आँसू हमें दो चार लिखने हैं।

कभी मतभेद का ये युध्द मानव का नहीं थमता।
इसी के बीच सामाजस्य के उपहार लिखने हैं।

खडी दीवार नफरत की मगर दो प्रेम के अक्षर।
कभी इस पार लिखने हैं कभी उर पार लिखने हैं।

हुई है खंडहर एकत्व की प्राचीर मानव की।
कलम ले स्वप्न सुषमा के हमें साकार लिखने हैं।

कभी भी मौन रहकर हक भला कब कब मिला हमको।
हमें अब क्रांति के हाथों स्वयं अधिकार लिखने हैं।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ, सबलगढ(म.प्र.)

2 Likes · 319 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
View all
You may also like:
सुख - एक अहसास ....
सुख - एक अहसास ....
sushil sarna
ज़िंदगी मोजिज़ा नहीं
ज़िंदगी मोजिज़ा नहीं
Dr fauzia Naseem shad
मां की ममता जब रोती है
मां की ममता जब रोती है
Harminder Kaur
संतुलित रहें सदा जज्बात
संतुलित रहें सदा जज्बात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
Ravi Prakash
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
gurudeenverma198
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
प्रेमदास वसु सुरेखा
बीज और बच्चे
बीज और बच्चे
Manu Vashistha
चंद्रयान-२ और ३ मिशन
चंद्रयान-२ और ३ मिशन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
डॉ० रोहित कौशिक
यूएफओ के रहस्य का अनावरण एवं उन्नत परालोक सभ्यता की संभावनाओं की खोज
यूएफओ के रहस्य का अनावरण एवं उन्नत परालोक सभ्यता की संभावनाओं की खोज
Shyam Sundar Subramanian
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
विषधर
विषधर
आनन्द मिश्र
मेहनत ही सफलता
मेहनत ही सफलता
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
ए जिंदगी ,,
ए जिंदगी ,,
श्याम सिंह बिष्ट
श्री बिष्णु अवतार विश्व कर्मा
श्री बिष्णु अवतार विश्व कर्मा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हम कितने नोट/ करेंसी छाप सकते है
हम कितने नोट/ करेंसी छाप सकते है
शेखर सिंह
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
"भावुकता का तड़का।
*Author प्रणय प्रभात*
मौसम मौसम बदल गया
मौसम मौसम बदल गया
The_dk_poetry
अकाल काल नहीं करेगा भक्षण!
अकाल काल नहीं करेगा भक्षण!
Neelam Sharma
पुराना कुछ भूलने के लिए,
पुराना कुछ भूलने के लिए,
पूर्वार्थ
💐अज्ञात के प्रति-119💐
💐अज्ञात के प्रति-119💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि
Arti Bhadauria
वो जो हूबहू मेरा अक्स है
वो जो हूबहू मेरा अक्स है
Shweta Soni
हमारे दोस्त
हमारे दोस्त
Shivkumar Bilagrami
अंतिम एहसास
अंतिम एहसास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"बेटी"
Dr. Kishan tandon kranti
फूल
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...