Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Nov 2018 · 1 min read

अब वो भी जूठे लगते है…

जिस कलम की स्याही से…
लिखता था मैं तेरा नाम
ऐसी नफरत हुई कलम से….
अब लगता सब जूठा है

जब से दूर हुई है तू…..
सारे सपने जूठे है
जो कहते थे अपने है….
अब वो भी जूठे लगते है

न होता ऐसा तेरा दीदार…
सारे सपने मेरे होते
राजकुमार सा बैठा होता ….
अपनी आलीशान महल में

ऐसे न चेहरे मुर्झाए होते….
ऐसे न आवाजे रुकती
सारे सपने अपने होते……
अपनी आलीशान महल में बैठे होते

लेखक – कुंवर नितीश सिंह

Language: Hindi
1 Like · 424 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
میرے اس دل میں ۔
میرے اس دل میں ۔
Dr fauzia Naseem shad
उद् 🌷गार इक प्यार का
उद् 🌷गार इक प्यार का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#डिबेट_शो
#डिबेट_शो
*Author प्रणय प्रभात*
हमारी निशानी मिटा कर तुम नई कहानी बुन लेना,
हमारी निशानी मिटा कर तुम नई कहानी बुन लेना,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
रोमांटिक रिबेल शायर
रोमांटिक रिबेल शायर
Shekhar Chandra Mitra
माँ शारदे...
माँ शारदे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
दादी की वह बोरसी
दादी की वह बोरसी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
उस वक़्त मैं
उस वक़्त मैं
gurudeenverma198
ये हवाएँ
ये हवाएँ
VINOD CHAUHAN
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
Rj Anand Prajapati
तुम नफरत करो
तुम नफरत करो
Harminder Kaur
आओ उस प्रभु के दर्शन कर लो।
आओ उस प्रभु के दर्शन कर लो।
Buddha Prakash
सफर सफर की बात है ।
सफर सफर की बात है ।
Yogendra Chaturwedi
फिर से तन्हा ek gazal by Vinit Singh Shayar
फिर से तन्हा ek gazal by Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
है ख्वाहिश गर तेरे दिल में,
है ख्वाहिश गर तेरे दिल में,
Satish Srijan
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गज़ल सी कविता
गज़ल सी कविता
Kanchan Khanna
पूछ रही हूं
पूछ रही हूं
Srishty Bansal
सच्ची होली
सच्ची होली
Mukesh Kumar Rishi Verma
आत्मीयकरण-1 +रमेशराज
आत्मीयकरण-1 +रमेशराज
कवि रमेशराज
*धक्का-मुक्की मच रही, झूले पर हर बार (कुंडलिया)*
*धक्का-मुक्की मच रही, झूले पर हर बार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुस्कुराने लगे है
मुस्कुराने लगे है
Paras Mishra
💐प्रेम कौतुक-338💐
💐प्रेम कौतुक-338💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
Vedha Singh
क्या देखा है मैंने तुझमें?....
क्या देखा है मैंने तुझमें?....
Amit Pathak
"संवाद"
Dr. Kishan tandon kranti
* फागुन की मस्ती *
* फागुन की मस्ती *
surenderpal vaidya
होलिडे-होली डे / MUSAFIR BAITHA
होलिडे-होली डे / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
आत्मसम्मान
आत्मसम्मान
Versha Varshney
कुंडलिया छंद *
कुंडलिया छंद *
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...