Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2021 · 2 min read

अब मैं क्या कहूं

कुछ दिन पहले की बात है। जो घटना हमारे साथ घटी थी। वह मैं आप के साथ शेयर करने जा रहा हूँ।
जब मैं कम्प्यूटर पढ़ने जाता था। उस वक्त उस बैच में मात्र चौबीस विद्यार्थी थे, जिसमें बीस छात्रा एवं चार छात्र थे, जिसमें से एक मैं भी था।

एक दिन की बात है कि जिस कम्प्यूटर क्लास में मैं पढ़ता था, उसमें 15 अगस्त के शुभ अवसर पर कार्यक्रम होना था। जिसमें देश भक्ति नाटक, हास्य नाटक के साथ-साथ गीत गाने का भी आयोजन था।

इस कार्यक्रम में बहुत सारे छात्र एवं छात्रा भाग लिए हुए थे। जिसमें से मैं भी पाँच नाटक और दो गीत में भाग लिए हुए थे। पहला नाटक “चूहा का मडर” था जिसमें मैं पुलिसवाला था। दूसरा नाटक “भारत-पाक सम्मेलन” था जिसमें मैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अंगरक्षक के रुप में था। तीसरे नाटक “सीता का स्वयंवर” था जिसमें मैं लक्ष्मण जी बना था। चौथे नाटक “औरत किसी की माँ तो किसी की बहन होती है” था इसमें मेरा नेगेटिव रोल था और पाँचवा नाटक था “बिहार की शिक्षा-दीक्षा” जिसमें मैं दूधवाला का रोल अदा किया था। जिसके माध्यम से दर्शकों को हँसा-हँसा कर लोट-पोट कर दिया था।

ये सारे कार्यक्रम 15 अगस्त को हुआ था। जिसको देखने के लिए मेरा छोटा भाई मेरे साथ आया था। उसी कम्प्यूटर शिक्षण संस्थान में हमारे क्लास की एक लड़की थी जो बहुत सुंदर थी। जिनका परिचय उसी कार्यक्रम के तहत मेरे छोटे भाई से हो गया। वह लड़की जो थी हमारी क्लासमेट थी। उस लड़की का दिल मेरे भाई पर उतर आया और मामले में मेरा भाई भी पिछे रहने वाला नहीं था। इस बात की जानकारी मुझे नहीं थी। 15 अगस्त का सारा कार्यक्रम समाप्त हुआ और हम सब अपने-अपने घर को गए। फिर दूसरे दिन से हमलोगों की पढाई शुरु हो गई और उधर मेरे छोटे भाई और उस लड़की के बीच प्रेम बढ़ता गया ।

एक दिन वह लड़की अपने पिता जी को मेरे भाई को देखने के लिए भेजी और मेरा भाई उस लड़की को तो पसंद था ही उसके पिता जी को भी पसंद आ गया। इस तरह शादी की बात हो गई और उस लड़की से मेरे भाई का शादी भी हो गई। मैं अभी तक इस बात को नहीं जानता था कि यह शादी मेरे कम्प्यूटर क्लास की लड़की से हुई है।

उस वक्त जब हमलोग पढ़ते थे। एक – दूसरे नाम लेकर दोस्त के तौर पर पुकारते थे तथा हँसी मजाक और बातें करते थे। लेकिन समस्या उस वक्त खड़ी हो गई, जिस वक्त मैंने उस लड़की को अपने घर दुल्हन के रुप में देखा। उस वक्त मैं सोच में पड़ गया की उसे “अब मैं क्या कहूँ”।

बात यह थी कि जो मेरा छोटा भाई था वह मेरे बड़े पापा का लड़का था।
————————–०—————————

✍️जय लगन कुमार हैप्पी ⛳
बेतिया (बिहार)

Language: Hindi
2 Likes · 534 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुश्किल से मुश्किल हालातों से
मुश्किल से मुश्किल हालातों से
Vaishaligoel
तेरे बग़ैर ये ज़िंदगी अब
तेरे बग़ैर ये ज़िंदगी अब
Mr.Aksharjeet
दिल का दर्द💔🥺
दिल का दर्द💔🥺
$úDhÁ MãÚ₹Yá
विचार पसंद आए _ पढ़ लिया कीजिए ।
विचार पसंद आए _ पढ़ लिया कीजिए ।
Rajesh vyas
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
gurudeenverma198
“परिंदे की अभिलाषा”
“परिंदे की अभिलाषा”
DrLakshman Jha Parimal
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
Rj Anand Prajapati
"आत्म-निर्भरता"
*Author प्रणय प्रभात*
संस्कृत के आँचल की बेटी
संस्कृत के आँचल की बेटी
Er.Navaneet R Shandily
तुम गंगा की अल्हड़ धारा
तुम गंगा की अल्हड़ धारा
Sahil Ahmad
मुझे तुझसे महब्बत है, मगर मैं कह नहीं सकता
मुझे तुझसे महब्बत है, मगर मैं कह नहीं सकता
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हिरनी जैसी जब चले ,
हिरनी जैसी जब चले ,
sushil sarna
आओ गुफ्तगू करे
आओ गुफ्तगू करे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सामने मेहबूब हो और हम अपनी हद में रहे,
सामने मेहबूब हो और हम अपनी हद में रहे,
Vishal babu (vishu)
*मोबाइल पर पढ़ते बच्चे (बाल कविता)*
*मोबाइल पर पढ़ते बच्चे (बाल कविता)*
Ravi Prakash
आंधियां* / PUSHPA KUMARI
आंधियां* / PUSHPA KUMARI
Dr MusafiR BaithA
“मां बनी मम्मी”
“मां बनी मम्मी”
पंकज कुमार कर्ण
जिंदगी गुज़र जाती हैं
जिंदगी गुज़र जाती हैं
Neeraj Agarwal
तुम यूं मिलो की फासला ना रहे दरमियां
तुम यूं मिलो की फासला ना रहे दरमियां
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
"Har Raha mukmmal kaha Hoti Hai
कवि दीपक बवेजा
"श्रृंगार रस के दोहे"
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
मुर्दा समाज
मुर्दा समाज
Rekha Drolia
लाल उठो!!
लाल उठो!!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"बताओ"
Dr. Kishan tandon kranti
हड़ताल
हड़ताल
नेताम आर सी
আজ রাতে তোমায় শেষ চিঠি লিখবো,
আজ রাতে তোমায় শেষ চিঠি লিখবো,
Sakhawat Jisan
दिल की बात
दिल की बात
Bodhisatva kastooriya
आत्मा शरीर और मन
आत्मा शरीर और मन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
Mahendra Narayan
Loading...