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23 Sep 2017 · 1 min read

” ——————————————- अब तक बाँच न पाया ” !!

तेरी चाहत को पूजा है , सिर माथे बिठलाया !
आँखियों में क्यों नमी तैरती , कोई जान न पाया !!

सबका अपना अहम बोलता , हम तो यों ही डोलें !
वामा तो बस है निरीह सी , बदले में यह पाया !!

दीवारों में कैद लगे है , अब उड़ान सपनों की !
मन का भेदी मेरे मन को , अब तक बांच न पाया !!

सजधज तो है ऐक दिखावा , बन्धन कसे कसे से !
मनवा यहाँ घिरा है ऐसा , बाहर झांक न पाया !!

जागी जागी सी उम्मीदें , पलकें सजी सजी सी !
अधरों पर खामोशी बरबस , इतना हाथों आया !!

मुस्कानें मिल जाएं सहज सी , अपनी चाह निराली !
तुम गर झांको दिल के अन्दर , सब कुछ हमने पाया !!

बृज व्यास

Language: Hindi
Tag: गीत
316 Views
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