Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Sep 2017 · 2 min read

***अबला नारी, बेचारी इसे सहन कर जाती है***

कौतूहल का विषय बना डाला है नारी को,
गर्व भरा मस्तक जिसका उस सुकुमारी को,
नीच भावना मानव की कुत्षित दृष्टि जमाती है,
अबला नारी, बेचारी इसे सहन कर जाती है।।1।।
ब्रह्मा के यह वाक्य नहीं हैं ‘सहन करेगी नारी ही’
महा मंडित कहलाता नर और मूढ कहाती नारी ही,
बात-बात पर यूँ झिड़कना नर की गन्दी सोच बताती है,
अबला नारी बेचारी इसे सहन कर जाती है।।2।।
नहीं पुरोधा नर समाज का, नारी भी उससे बढ़कर,
कदम-2 पर साथ निभाती, बढ़ जाती उससे ऊपर,
हीन भावना नर की, उसकी औकात बताती है,
अबला नारी, बेचारी इसे सहन कर जाती है।।3।।
ऐसा क्या अभिशाप यहाँ, औरत बाँझ कहाती क्यों?
नर मण्डली नहीं, अपने पौरुष पर उँगली उठाती क्यों?
सिद्ध हुआ इससे नर जाति अपने नियम बनाती है,
अबला नारी,बेचारी इसे सहन कर जाती है।।4।।

आगे की पंक्तियों में कविताकार ने अबला के स्थान पर प्रबला और बेचारी के स्थान पर वीरवती शब्द का प्रयोग किया है। क्यों कि वह बेशर्म की श्रेणी में नहीं रहना चाहता है।
इस पर सभी गौर फ़रमाऐगे।परिवर्तन कैसे किया है। कविता का आनन्द लें।

अबला की संज्ञा से क्या केवल नारी को समझाते हो,
ऐसी बेशर्मी की बातों से अपनी कायरता दिखलाते हो,
नर की ऐसी ही बातें नारी में द्वेष दिखातीं हैं,
प्रबला नारी, वीरवती इसे सहन कर जाती है।।5।।
ऐसी भाषा शैली बन्द करो, अत्याचारों को भी बन्द करो,
कान खोलकर सुन लो, पीछे बतियाना बन्द करो,
ऐसे पीछे बतियाना, नर की कायरता दिखलाती है,
प्रबला नारी, वीरवती इसे सहन कर जाती है।।6।।

##अभिषेक पाराशर##

Language: Hindi
1185 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुक्तामणि छंद [सम मात्रिक].
मुक्तामणि छंद [सम मात्रिक].
Subhash Singhai
__________________
__________________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
"अहसासों का समीकरण"
Dr. Kishan tandon kranti
*लम्हा  प्यारा सा पल में  गुजर जाएगा*
*लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
इश्क़ में
इश्क़ में
हिमांशु Kulshrestha
■ जागो या फिर भागो...!!
■ जागो या फिर भागो...!!
*Author प्रणय प्रभात*
23/137.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/137.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
पुश्तैनी दौलत
पुश्तैनी दौलत
Satish Srijan
दोहा-
दोहा-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम इश्क लिखना,
तुम इश्क लिखना,
Adarsh Awasthi
आपको जीवन में जो कुछ भी मिले उसे सहर्ष स्वीकार करते हुए उसका
आपको जीवन में जो कुछ भी मिले उसे सहर्ष स्वीकार करते हुए उसका
Tarun Singh Pawar
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
*सुविचरण*
*सुविचरण*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*नंगा चालीसा* #रमेशराज
*नंगा चालीसा* #रमेशराज
कवि रमेशराज
हृदय को भी पीड़ा न पहुंचे किसी के
हृदय को भी पीड़ा न पहुंचे किसी के
Er. Sanjay Shrivastava
वास्तविक मौज
वास्तविक मौज
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
*आस्था*
*आस्था*
Dushyant Kumar
अज्ञात के प्रति-2
अज्ञात के प्रति-2
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दायरे से बाहर (आज़ाद गज़लें)
दायरे से बाहर (आज़ाद गज़लें)
AJAY PRASAD
मेरे होंठों पर
मेरे होंठों पर
Surinder blackpen
चेहरे की मुस्कान छीनी किसी ने किसी ने से आंसू गिराए हैं
चेहरे की मुस्कान छीनी किसी ने किसी ने से आंसू गिराए हैं
Anand.sharma
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
Sunil Suman
तुम याद आये !
तुम याद आये !
Ramswaroop Dinkar
उम्र  बस यूँ ही गुज़र रही है
उम्र बस यूँ ही गुज़र रही है
Atul "Krishn"
आओ चले अब बुद्ध की ओर
आओ चले अब बुद्ध की ओर
Buddha Prakash
*नवाब रजा अली खॉं ने श्रीमद्भागवत पुराण की पांडुलिपि से रामप
*नवाब रजा अली खॉं ने श्रीमद्भागवत पुराण की पांडुलिपि से रामप
Ravi Prakash
एक मैं हूँ, जो प्रेम-वियोग में टूट चुका हूँ 💔
एक मैं हूँ, जो प्रेम-वियोग में टूट चुका हूँ 💔
The_dk_poetry
इस बार फागुन में
इस बार फागुन में
Rashmi Sanjay
Loading...